नयी दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तीन साल पहले जम्मू-कश्मीर में परिवर्तन की जो प्रक्रिया शुरू हुई थी, उसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि विकास और प्रगति का पूरा लाभ जो देश के अन्य हिस्सों के लोगों को कई वर्षों से मिल रहा था, वहां के लोगों को भी मिले। डॉ. जयशंकर ने यहां केंद्र शासित प्रदेश के पहले अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मेले का उद्घाटन किया।
इस मौके पर डॉ. जयशंकर के अलवा केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपालमनोज सिन्हा और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे उपस्थित रहे।
जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मेला का आयोजन की पहल के लिए शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चरल साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एसकेयूएएसएटी) की प्रशंसा की और कहा कि तीन साल पहले, जम्मू-कश्मीर में परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू हुई थी, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि विकास और प्रगति का पूरा लाभ वहां के लोगों को मिले। जो शेष भारत के लोगों को कई वर्षों से मिल रहा था।
विशेषकर प्रदेश के युवाओं को आगे बढ़ने के अवसर मिलें। इस लिहाज से प्रदेश के लोगों का राष्ट्रीय मुख्यधारा में होना बेहद महत्वपूर्ण था। ऐसा करने से, वे शेष भारत और अंतरराष्ट्रीय मुख्यधारा से जुड़ेंगे। मेरे लिए यह केवल एक शिक्षा कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करने का जरिया है कि भारत का एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र दुनिया में जो कुछ हो रहा है, उससे जुड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा कि भारतीय विश्वविद्यालयों को अपने परिसरों में अधिक विदेशी छात्रों को आमंत्रित करने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘आज, भारत के पास दुनिया के 78 देशों में परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं या कम हो रहा हैं। इसलिए, यदि हमारे संबंध इतने व्यापक हैं, निवेश इतने गहरे हैं और नेटवर्किंग इतनी अच्छी है, तो हमें यह देखने की जरूरत है कि भारत में अंतरराष्ट्रीय छात्रों का प्रवाह बढ़े।
डॉ. जयशंकर ने कहा, “यह नितांत आवश्यक है कि भारत के युवा दुनिया में क्या हो रहा है, इसके बारे में पूरी तरह से जागरूक हों और ऐसा करने का इससे बेहतर तरीका कोई नहीं है कि आपके बीच अंतरराष्ट्रीय छात्र हों।” वहीं श्री प्रधान ने प्रदेश सरकार को भारत के उच्च शिक्षा परिदृश्य की ताकत और जीवंतता के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर की ज्ञान विरासत को प्रदर्शित करने के लिए बधाई दी।
उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में विकास की एक नई सुबह देख रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने से हम अपने शिक्षा क्षेत्र का अंतरराष्ट्रीयकरण कर रहे हैं। शिक्षा मंत्रालय स्कास्ट-कश्मीर के वैश्वीकरण का समर्थन, प्रोत्साहन और सुविधा प्रदान करेगा।” उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों को भारत को वैश्विक अध्ययन गंतव्य के रूप में स्थापित करने के प्रयासों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया।
डॉ. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा लाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्षमता निर्माण में योग्यता, कौशल और फ्लेक्सी विकल्पों द्वारा संचालित करियर और स्टार्ट-अप के अवसरों को खोलने का वादा करती है। उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू- कश्मीर में कृषि के नए रास्ते, अरोमा मिशन और पर्पल रेवोल्यूशन की एक समृद्ध विरासत है, जो इसे भारत में कृषि स्टार्टअप आंदोलन का पथप्रदर्शक होने की क्षमता प्रदान करती है।