चेन्नई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार को कहा कि तीसरे चंद्र मिशन, चंद्रयान-3 के लैंडर के लिए 31 जनवरी से 02 फरवरी तक ईएमआई/ईएमसी का सफल प्रक्षेपण किया गया।
इन प्रक्षेपणों को यू आर राव उपग्रह केंद्र, बेंगलुरु से किया गया और यह लैंडर चंद्रयान-3 द्वारा ले जाने वाले पेलोड में से एक है, जिसे इसरो इस वर्ष के अंत में अपने सबसे भारी उपग्रह प्रक्षेपण वाहन जीएसएलवी-एमके ककक के माध्यम से अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रहा है। इसका उपयोग पहले दो चंद्र मिशनों में भी किया जा चुका है।
इसरो ने कहा कि ईएमआई-ईएमसी (इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक इंटरफेरेंस-इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक कम्पैटिबिलिटी) प्रक्षेपण सैटेलाइट मिशन के लिए किया जाता है, जिससे अंतरिक्ष में सैटेलाइट सबसिस्टम की कार्यक्षमता और अपेक्षित इलेक्ट्रोमैग्नेटिक लेवल के साथ उनकी अनुकूलता को सुनिश्चित किया जा सके।
यह प्रक्षेपण उपग्रहों को समझने के लिए एक प्रमुख मील का पत्थर है। चंद्रयान-3 अन्तर्ग्रहीय मिशन में तीन प्रमुख मॉड्यूल हैं, प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और रोवर।
उल्लेखनीय है कि इसरो ने अपने दूसरे चंद्र मिशन के साथ इतिहास रचा था और अपने पहले मिशन में 3.48 लाख किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा करने के बाद लैंडर विक्रम के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने से पहले 99.99 प्रतिशत सफल रहा था। इसरो के तत्कालीन प्रमुख के. सिवन ने कहा था कि 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक लैंडर योजना अनुरूप काम कर रहा था, जिसका बाद इसरो केंद्र से संपर्क संपर्क टूट गया।
अभय, संतोष