भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा के प्रयोगात्मक प्रक्षेत्र, हवालबाग में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रतिसंवेदीकरण विषय पर दो दिवसीय ‘कृषक जागरूकता कार्यशाला का समापन किया गया। इस अवसर पर कदन्न फसले भविष्य का भोजन विषय पर कृषक गोष्ठी एवं प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि डाॅ एम. मधु, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान देहरादून ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में कदन्न फसलों का एक बहुतबड़ा योगदान है।इनकी खेती के लिए बहुत ज्यादा मेहनत की आवश्यकता भी नही है।साथ ही इन की पोषण क्षमता वैशिवकस्तर पर सबसे अधिक है।इन फसलो के मूल्य वर्धक उत्पाद बनाकर कृषक अपनी आय में वृद्वि कर सकते है।
उन्होने कृषकों का एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाने हेतु आह्वान किया तथा जल संरक्षण पर बल दिया । कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी डा आर.पी.सिंह ने कदन्न फसलों को पर्वतीय क्षेत्रों की दशा बदल नेका एक सषक्त माध्यम बताया।मुख्य कृषि अधिकारी श्रीडी.कुमार ने अपने कथन में कहा किपर्वतीय क्षेत्रों में विपणन एक समस्या है।इस समस्या के समाधान हेतु कदन्न फसलों के अधिक उत्पादन से कृषक अधिकलाभ अर्जित कर सकते हैं।उन्होने कृषकों को कदन्न फसलों के मूल्य की जानकारी भी दी।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डाॅ लक्ष्मी कान्त ने अपने सम्बोधन में बताया कि आजादी के 75 वर्ष में कृषि क्षेत्र में इतनी अधिक प्रगति हुई है कि आज हमारा देष अन्न के भण्डार से भरा हुआ है।देश जहाँ एक ओर देशवासियों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है, वही दूसरी ओर अन्ननिर्यात भी कर रहा है। उन्हों ने कहा की बहुत सारी बीमारियाँ पोषण की कमी के कारण होती है।
अतः पोषण सुरक्षा हेतु मोटे अनाजो का उत्पादन एवं उन्हे दैनिक भोजन में शामिल करना चाहिए।उन्होेंने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों एवं उनके निराकरण हेतु विकसित प्रजातियों एवं तकनीकियों की जानकारी दी।अन्तर्राष्ट्रीय कदन्नवर्ष 2023 को देखते हुए उन्होंने कदन्न फसलों की विषेषता ओं एवंसंस्थान द्वारा इन फसलों की विकसित प्रजातियों से सभी आगन्तु कों को अवगत कराया तथा इनके मूल्यवर्धन द्वारा आयवृद्वि की जानकारी दी
कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम समन्वयक डाॅ बृजमोहन पाण्डे ने किया तथा धन्यवाद् प्रस्ताव प्रधान वैज्ञानिक डा. निर्मल कुमार हेडाऊ ने ज्ञापित किया।इस कार्यशाला में अल्मोड़ा, नैनीताल, बागेश्रवर तथा चमोली जिले के 150 कृषकों एवं100 विद्यार्थियों ने भागीदारी की
दो दिवसीय इस कार्यशाला में तीन सत्रों नामतः जलवायुप रिवर्तन में फसल प्रबन्धन, कदन्न फसलें-भविश्य का भोजन एवं सामुदायिक विकास योजनाओं से आयवृद्वि के अन्तर्गत सात व्याख्यान यथापर्व तीय फसलों में एकीकृतकी टप्रबन्धन, पर्वतीय क्षेत्रों में बेमौसमी सब्जी उत्पादन, फसलो उत्पादन में सूक्ष्म जीवों का महत्व, पर्वतीय क्षेत्रों में कदन्न फसलों की वैज्ञानिक खेती कदन्नफसलों के पौष्टिकउत्पाद, वित्तीय एवं डिजिटल साक्षरता तथा संगठन में महिला सशक्तिकरण में दिये गये। कृषकों ने इस कार्यशाला के दौरान संस्थान द्वारा दिये जा रहे सहयोग की सराहना की।