नैनीताल। उत्तराखंड के चमोली जिले की बर्खास्त जिला पंचायत अध्यक्ष एवं कांग्रेस नेता राजेन्द्र भंडारी की पत्नी रजनी भंडारी को उच्च न्यायालय से बुधवार को कुछ हद तक राहत मिल गयी। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बर्खास्तगी से पूर्व नियमों का पालन नहीं करने के मामले में राज्य सरकार के बर्खास्तगी आदेश को खारिज कर दिया है। बर्खास्त जिला पंचायत अध्यक्ष की ओर से एक याचिका कर सरकार के 25 जनवरी, 2023 के आदेश को चुनौती दी गयी थी।
मामले की सुनवाई शीतकालीन कोर्ट शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता देवदत्त कामत पेश हुए और उन्होंने अदालत को बताया कि श्रीमती भंडारी को हटाने से पूर्व पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है। प्रारंभिक जांच के आधार पर उन्हें पद से हटा दिया गया है।
उन्होंने कहा कि पंचायती राज अधिनियम,1997 के प्रावधानों से साफ है कि जिलाधिकारी की प्रारंभिक जांच के बाद आरोपों की जांच संबद्ध मंडल के आयुक्त द्वारा की जायेगी और आयुक्त की रिपोर्ट के आधार पर सरकार जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ कार्यवाही लेने को स्वतंत्र होगी।
सरकार ने माना कि इस मामले में आयुक्त की जांच नहीं की गयी है। चमोली के डीएम की जांच के आधार पर उन्हें हटाया गया है। सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि इस मामले में दो जनहित याचिकाएं भी उच्च न्यायालय में दायर हुई थीं। उच्च न्यायालय ने भी आरोपी के खिलाफ उचित कार्यवाही करने के निर्देश दिये हैं।
सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि याचिकाकर्ता की ओर से ये दोनों तथ्य अदालत से छिपाये गये हैं। अंत में अदालत ने भी याचिकाकर्ता के तर्कों से सहमत होते हुए सरकार के 25 जनवरी, 2023 को जारी बर्खास्तगी आदेश को खारिज कर दिया और सरकार को निर्देश दिये कि वह पंचायती राज अधिनियम के नियम 6 का पालन करते हुए आयुक्त की जांच करवाये।
अदालत के आदेश से साफ है कि इसके बाद सरकार अध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई करने को स्वतंत्र होगी। आज की कार्यवाही से यह भी स्पष्ट है कि अदालत ने इस मामले में गुण-दोष (मैरिट) के आधार पर सुनवाई नहीं की है और आयुक्त की जांच के बाद रजनी भंडारी पर फिर तलवार लटक सकती है।
यहां बता दें कि पूर्व ब्लाक प्रमुख नंदन सिंह बिष्ट की शिकायत के बाद सरकार की ओर से जिलाधिकारी चमोली को जांच सौंपी गयी थी और डीएम के निर्देश पर मुख्य विकास अधिकारी की जांच के बाद राज्य सरकार ने 25 जनवरी को एक आदेश जारी कर श्रीमती भंडारी को पद से हटा दिया। श्रीमती भंडारी पर सन 2012-13 में नंदाराज जात यात्रा मार्ग के विकास कार्यों में कथित रूप से गड़बड़ी का आरोप है। आरोप है कि उन्होंने इस दौरान अपने दायित्व का उचित निर्वहन नहीं किया।