पूर्व डीएफओ किशन चंद को नहीं मिली अल्पावधि जमानत

नैनीताल।  उच्च न्यायालय ने कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) के कालागढ़ वन प्रभाग में भ्रष्टाचार व अनियमितता के आरोप में जेल में बंद तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी किशन चंद को अल्पावधि (शार्ट टर्म) जमानत का प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।

किशन चंद की ओर से आज उच्च न्यायालय में शार्ट टर्म बेल प्रार्थना पत्र पेश किया गया। न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की पीठ में प्रार्थना पत्र पर सुनवाई की। आरोपी की ओर से बताया गया कि वह गंभीर रूप से बीमार है और उसे उपचार के लिये शार्ट टर्म बेल प्रदान की जाये।

सरकार की ओर से कहा गया कि आरोपी का जमानत प्रार्थना पत्र निचली अदालत में लंबित है। उस पर कोई फैसला नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि दो-दो जगह जमानत प्रार्थना पत्र पेश किया जाना गलत है।

अदालत ने भी इसे गलत करार देते हुए उनका प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। वह इससे पहले भी गिरफ्तारी से बचने व उसके खिलाफ दर्ज अभियोग को खारिज करने के लिये उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा चुका है लेकिन आरोपी को कोई राहत नहीं मिल पायी है।

 चंद पर बिना विभागीय अनुमति के कार्बेट पार्क के कालागढ़ वन प्रभाग के पाखरो व मोरघटटी में अवैध निर्माण के साथ ही पेड़ों के अवैध पातन का आरोप है। विभागीय जांच में इसकी पुष्टि होने पर उन्हें निलंबित कर दिया गया।

साथ ही शासन ने इस प्रकरण की जांच सतर्कता (विजिलेंस) विभाग को सौंप दी। विजिलेंस की ओर से किशन चंद समेत छह से अधिक लोगों के खिलाफ हल्द्वानी में अभियोग पंजीकृत कर लिया गया था।

अभियोग पंजीकृत होने के साथ ही आरोपी फरार हो गया। आरोपी कई दिनों तक विजिलेंस की पकड़ से बाहर रहा। आखिरकार उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।

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