स्नान के बाद उत्तरायण में उदय सूर्य की पूजा करने का पर्व है मकर सक्रांति!

डॉ श्रीगोपालनारसन एडवोकेट

खगोलीय परिवर्तन का
अनूठा पर्व है आज
उत्तरायण मे पधारने पर
नमन ,हे सूर्य महाराज
यह शुभघडी है सदसंकल्प की
जिसमे सफल होते हर काज़
बुजुर्गों के सम्मान का
पुनीत अवसर यह कहलाता
चरण छूकर बड़ो के
हर कोई आशीर्वाद पाता
मकर सक्रांति अवसर पर
पात्र को जो करते दान
सामाजिक समानता का
वही बनते बड़ा प्रमाण ।
इस वर्ष के हिंदू पंचांग की माने तो ग्रहों के राजा सूर्य 14 जनवरी 2023 की रात 8 बजकर 21 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेंगे। उदया तिथि 15 जनवरी 2023 को आ रही है। ऐसे में मकर संक्रांति 15 जनवरी 2023 को मनाई जा रही है।मकर सक्रांति को स्नान के बाद सूर्य देव की पूजा करने का विधान है। ऐसा करने से मनुष्य की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है,ऐसा माना जाता है, साथ ही मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता दक्षिणायन से उत्तरायण आते हैं और इसी घड़ी से देवताओं के शुभ दिन शुरू हो जाते हैं।

मकर संक्रांति से खरमास समाप्त हो जाता है और शादी-विवाह जैसे शुभ व मांगलिक कार्य भी होने लगते है।इतिहास में झांके तो पता चलता है कि महाभारत काल में मकर संक्रांति दिसंबर मास में मनाई जाती थी। छ्ठी शताब्दी में सम्राट हर्षवर्धन के समय में 24 दिसंबर को मकर संक्रांति मनाई गयी थी। अकबर सम्राट के समय में 10 जनवरी और शिवाजी महाराज के समय में 11 जनवरी को मकर संक्रांति मनाये जाने का उल्लेख मिलता है।

मकर संक्रांति की तिथि के बदलते रहने का, यह रहस्य इसलिए है क्योंकि सूर्य की गति एक साल में 20 सेकंड बढ जाती है। इस हिसाब से 5000 साल के बाद संभव है कि मकर संक्रांति जनवरी में नहीं, बल्कि फरवरी में मनाई जाने लगे। वैसे इस साल अच्छी बात यह है कि मकर संक्रांति पर सूर्य का आगमन 14 तारीख को शाम को हो रहा है इसलिए मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जा रही है।

मकर सक्रांति को देश मे विभिन्न नामो से जाना जाता है।तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं। मकर संक्रान्ति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहते हैं, यह भ्रान्ति है कि उत्तरायण भी इसी दिन होता है। किन्तु मकर संक्रान्ति उत्तरायण से भिन्न है। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व माना गया है।

इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार सूर्य का उत्तरायण होना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन गंगा नदी या पवित्र जल में स्नान करने का विधान है। साथ ही इस दिन गरीबों को गर्म कपड़े, अन्न का दान करना शुभ माना गया है। संक्रांति के दिन तिल से निर्मित सामग्री ग्रहण करने शुभ होता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।गरीब और असहाय लोगों को गर्म कपड़े का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस माह में लाल और पीले रंग के वस्त्र धारण करने से भाग्य में वृद्धि होती है। माह के रविवार के दिन तांबे के बर्तन में जल भर कर उसमें गुड़, लाल चंदन से सूर्य को अर्ध्‍य देने से पद सम्मान में वृद्धि होने के साथ शरीर में सकारात्मक शक्तियों का विकास होता है। साथ ही आध्यात्मिक शक्तियों का भी विकास होता है।

कहते है कि मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर फेंका था। भगवान की जीत को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। मकर संक्रांति से ही ऋतु में परिवर्तन होने लगता है। शरद ऋतु का प्रभाव कम होने लगता है और इसके बाद बसंत मौसम का आगमन आरंभ हो जाता है। इसके फलस्वरूप दिन लंबे और रात छोटी होने लगती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव के घर जाते हैं। ऐसे में पिता और पुत्र के बीच प्रेम बढ़ता है। ऐसे में भगवान सूर्य और शनि की अराधना शुभ फल देने वाला होता है।सक्रांति का यह पर्व भारतवर्ष तथा नेपाल के सभी प्रान्तों में अलग-अलग नाम व भांति-भांति के रीति-रिवाजों द्वारा भक्ति एवं उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया जाता है।

भारत में इसके विभिन्न नाम है छत्तीसगढ़, गोआ, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, गुजरात और जम्मू में मकर सक्रांति,तमिलनाडु मेंताइ पोंगल, उझवर तिरुनल गुजरात, उत्तराखण्ड में उत्तरायण, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब में माघी, असम में भोगाली बिहु , कश्मीर में शिशुर सेंक्रात ,उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार में खिचड़ी,पश्चिम बंगाल में पौष संक्रान्ति ,कर्नाटक में मकर संक्रमण व पंजाब में लोहड़ी रूप में मनाया जाता है।मकर सक्रांति पर जहां पतंग उड़ाने का रिवाज है,वही बड़े बुजुर्गों का सम्मान करने की भी परंपरा सदियों से चली आ रही है।इस दिन घर मे खिचड़ी का भोग भगवान को लगाया जाता है और खिचड़ी ही बांटने व खाने का भी चलन है।

Leave a Reply