नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य का धामी सरकार पर हमला

आत्मविश्वास खो चुकी सरकार जन मुद्दों से भाग रही : यशपाल

  • सात दिन के सत्र को दो दिन में ही निपटाया, जनता के आक्रोश से नहीं बच सकती
  • संसदीय कार्यमंत्री और नेता सदन को सवालों के जवाब देने से बचा रही है सरकार

हल्द्वानी । नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने दावा किया है कि राज्य सरकार विधायकों के सवालों का जवाब देने से भाग रही है। उन्होंने कहा कि कार्य मंत्रणा समिति की सिफारिश के बावजूद दो दिन का सदन चलाया गया, जबकि सदन सात दिन तक चलना था।

उन्होंने प्रतिपक्ष के सवालों का जवाब देने और जन मुद्दों को हल करने का साहस नहीं दिखा पायी है। एक तरह से सरकार का आत्मविश्वास डगमगा गया है। सरकार सीएम और संसदीय कार्य मंत्री को सवालों का जवाब देने बचाने के लिए सदन नहीं चला रही है। उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस इन मुद्दों को लेकर जनता की अदालत में जाएगी। उन्होंने दावा किया कि सरकार जनता के आक्रोश से तो अधिक दूर तक नहीं भाग सकती।

यह आरोप नेता प्रतिपक्ष ने सोमवार को मुखानी के एक होटल में पत्रकार वार्ता में लगाया। उन्होंने कहा कि इस बार विस सत्र में 619 सवालों का सरकार की ओर से जवाब आना था। इसमें अंकिता हत्या कांड से लेकर तमाम ज्वलंत मुद्दों पर सरकार को जनहित के काम करने के लिए मजबूत करना था।

उन्होंने कहा कि कार्यमंत्रणा समिति ने सात दिन का सत्र चलाने का फैसला किया था। संसदीय कार्यमंत्री ने केवल दो दिन का सदन में प्रस्ताव पेश किया। इससे यह साफ हो गया था कि सदन केवल दो दिन चलेगा। उन्होंने कहा कि इन दो दिनों के भीतर कांग्रेस ने साथर्क विपक्ष का रोल अपनाते हुए उपलब्ध समय और हर संसदीय प्रक्रिया का प्रयोग किया।

इसके जवाब में सरकार सदन में हर तरह से जिम्मेदारियों से भागती रही। उन्होंने कहा कि हाल की विधानसभा का सत्र दो दिन चलाकर सरकार ने दिखा दिया है कि वह जनता के प्रति जबाबदेह नहीं है। उनका आरोप है कि जिन दो दिनों सत्र चल उसमें भी सरकार ने सदन के सम्मुख आये विषयों का जबाब देने में लापरवाही की है।

नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि सदन को विधानसभा परिचालन नियमावली और परंपराओं के अनुसार नहीं चलाया जा रहा है। इस कारण विधायकगण राज्य के अधिकांश ज्वलंत मुद्दों को सदन में नहीं उठा पा रहे हैं। सदन में प्रश्नकाल के लिए सात दिनों को मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्रियों में बांटा रहता है।

संबधित वार को ही मंत्री गणों या मुख्यमंत्री से उनके विभागों से संबंधित प्रश्न पूछे जा सकते हैं। विधानसभा सत्र कुछ महीनों बाद होता है। यदि विधानसभा सत्र को दो दिन में ही स्थगित कर दिया जाता है तो उन दिनों के प्रश्नों को फिर उठाने का अवसर 8- 9 महिनों में ही आयेगा।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में सोमवार के दिन सालों से सत्र आहूत नहीं है। वर्तमान में सोमवार का दिन मुख्यमंत्री और संसदीय कार्य मंत्री के लिए तय है। जिनके पास राज्य के लगभग चालीस महत्वपूर्ण विभाग हैं। यानि सोमवार के दिन सत्र आहूत न होने के कारण विधायकगण, मुख्यमंत्री और संसदीय कार्य मंत्री से उनके विभागों के प्रश्न नहीं पूछ पा रहे हैं।

नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि उत्तराखण्ड संभवतया देश का पहला राज्य होगा जहां नेता सदन यानि मुख्यमंत्री और संसदीय कार्य मंत्री को सरकार विधानसभा में अपने विभागों से संबंधित प्रश्नों का जबाब देने से बचा रही है। यशपाल आर्य ने कहा कि विपक्ष के विधायक सदन को लंबा चलाने के संबध में कई बार प्रश्न उठा चुके हैं परंतु सरकार ने कोई जबाब नहीं दिया है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अब प्रदेश की जनता को भी बिभिन्न माध्यमों से प्रश्न करना चाहिए कि उत्तराखण्ड की विधानसभा में सोमवार का दिन कब आयेगा। उन्होंने कहा कि विधानसभा की कार्य संचालन नियमावली के अनुसार न केवल प्रश्नों के लिए बल्कि अन्य विधायी प्रक्रियाओं के लिए भी सदन में सप्ताह के दिन निर्धारित हैं जब उन दिनों सदन चलेगा ही नहीं तो सरकार और विपक्ष के विधायकों द्वारा प्रस्तावित वे विधायी कार्य भी नहीं हो सकते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि वर्तमान सत्र शुक्रवार के दिन नहीं चलने के कारण राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी देने से संबंधित प्राइवेट मेंबर बिल सदन में नहीं आ पाया है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि विपक्ष ने कार्यस्थगन में उत्तराखण्ड में बिगड़ती कानून-व्यवस्था और बेरोजगारी के मामले में सरकार को बुरी तरह से घेरा। सरकार के पास बिगड़ती कानून व्यवस्था और हर भर्ती में हो रहे घोटालों से संबंधित विपक्ष के आरोपों का कोई जवाब नहीं था। पिछले साल पूरे राज्य में आयी आपदा भी बड़ा मुद्दा रहा। दो दिन के प्रश्न काल में मंत्री गण विपक्ष के सवालों और तर्कों के सामने कहीं नहीं टिक पाए।

उन्होंने कहा कि अब सरकार विपक्ष पर आक्रामक न रहने का आरोप लगा रही है। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि सदन के भीतर हो हल्ला या बार बार अध्यक्ष के आसन के पास आना ही आक्रामकता है उन्होंने कहा कि अपनी जवाबदेही से भागने वाली सरकार को जनता के आक्रोश से डरना होगा। इस मौके पर विधायक सुमित हृदयेश, जिला अध्यक्ष राहुल छिम्वाल, पूर्व जिलाध्यक्ष सतीश नैनवाल, प्रदेश महासचिव महेश शर्मा एवं जगमोहन चिलवाल मौजूद थे।

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