दीपाली अग्रवाल
यह तस्वीर नासा के वॉयजर 1 ने ली थी जब वह आख़िरी बार धरती की ओर मुड़ा था। इसे देख कर कार्ल सैगन ने जो कहा उसका अनुवाद है –
“उस बिंदु को फिर दोबारा देखें। वो जगह यह है, वो घर है, वो हम हैं। इस पर वो सभी लोग हैं जिन्हें तुम प्यार करते हो, जानते हो, सुनते हो, जितने भी मनुष्य आज तक हुए हैं।
हमारी ख़ुशी, हमारी वेदना, हमारे धर्म, विचार, मत, शिकारी, नायक, कायर, सभ्यताओं को बनाने और बिगाड़ने वाले, राजा और किसान, प्यार में डूबे युवा, प्रत्येक माता-पिता, आशावान बच्चा, आविष्कारक और खोजी, नैतिकता के शिक्षक और भ्रष्ट नेता, हर एक सुपरस्टार और महान नेता, हर संत और पापी, सब कुछ जो हमारे इतिहास में हुआ, इस नीले बिंदु के भीतर सूर्य के प्रकाश में दीखने वाली धूल की तरह लुप्त हो गया।
इस अनंत ब्रह्मांड में पृथ्वी बहुत ही छोटा हिस्सा है। उन शासकों के बारे में सोचिए जिन्होंने इस बिंदु पर कब्ज़ा करने के लिए ख़ून की नदियां बहा दी थीं। अंतहीन निर्दयता जो एक तरफ़ के लोगों ने दूसरे तरफ़ के लोगों पर की थी। वे लोग कितनी अज्ञानता से भरे थे, एक-दूसरे को मारने की तड़प से भरे, कितनी गहरा था उनका द्वेष।
हमारा दिखावा, अहंकार, यह भ्रम कि हम इस ब्रह्मांड में विशेष हैं, इस बिंदु ने यह सब भ्रांतियां तोड़ दी हैं। हमारा ग्रह इस अनंत अंधेरे ब्रह्मांड में एक अकेले कण के समान है। इस अंधकार और विस्तार में, कोई संकेत नहीं है कि कोई हमें, हमसे बचाने कहीं और से आएगा।
अभी तक यह पृथ्वी ही है जिसके बारे में हम जानते हैं कि यहां जीवन पनप रहा है। ऐसा कोई स्थान नहीं, कम से कम निकट भविष्य में कि जहां हम रह सकें। हम वहां जा तो सकते हैं लेकिन रह नहीं सकते। आप इसे पसंद करें या न करें लेकिन धरती ही एकमात्र जगह है जहां हमारा अस्तित्व है।
कहते हैं कि खगोल-विज्ञान विनय और चरित्र निर्माण देता है। लेकिन यह तस्वीर मानव अहंकार की अज्ञानता का बेहतरीन उदाहरण है। यह हमारी ज़िम्मेदारी को रेखांकित करती है कि हमें एक दूसरे से और भी कृतज्ञता और नम्रता के साथ व्यवहार करना चाहिए ताकि हम इस धरती को संजो कर रख सकें। धरती, वह एक नीला बिंदु, जो हमारा एकमात्र घर है।”