विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था है भारत

बाली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-20 की बैठक में शामिल होने के लिए इंडोनेशिया के बाली पहुंचने पर राष्ट्रपति जोको विडोडो ने आत्मीय स्वागत किया। इस दौरान उन्होंने बाली में रहने वाले भारतीय समुदाय को संबोधित भी किया। अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने साफ तौर पर कहा कि बाली आने के बाद एक अलग ही अहसास होता है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि इंडोनेशिया ने अपनी परंपरा को जीवंत रखा है। उन्होंने कहा कि बाली आकर हर भारतीयों को अलग अनुभूति होती है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी-20 देशों का आह्वान किया है कि विश्व में खाद्य संकट से निपटने के लिए वे खाद की आपूर्ति बढ़ाने के उपाय करें तथा वैश्विक आर्थिक वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए ऊर्जा की आपूर्ति पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं लगाएं। श्री मोदी ने इंडोनेशिया के बाली द्वीप पर विश्व में आर्थिक रूप से शक्तिशाली 20 देशों के शिखर सम्मेलन के प्रथम सत्र में खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा विषय पर अपने संबोधन में ये आह्वान किया।

श्री मोदी इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो के निमंत्रण पर तीन दिन की यात्रा पर कल रात यहां पहुंचे। आज सुबह  प्रधानमंत्री ने रूस से ऊर्जा आपूर्ति को लेकर विश्व के कुछ नेताओं के ऐतराज का जवाब देते हुए यह भी कहा कि भारत विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है और उसकी प्रगति वैश्विक आर्थिक वृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसके लिए भारत की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करनी जरूरी है।

उन्होंने स्वच्छ ऊर्जा की तकनीक एवं किफायती वित्तपोषण सुलभ कराने के लिए प्रभावी कदम उठाने का भी आह्वान किया। सत्र को संबोधन की शुरुआत में श्री मोदी ने सबसे पहले आज के कठिन वैश्विक वातावरण में जी20 को प्रभावी नेतृत्व देने के लिए राष्ट्रपति श्री विडोडो की सराहना की। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, कोविड महामारी, यूक्रेन का घटनाक्रम और उससे जुड़ी वैश्विक समस्याओं ने मिल कर विश्व मे तबाही मचा दी है। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं तहस-नहस हो गई हैं। पूरी दुनिया मे जीवन-जरूरी चीजें, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति का संकट बना हुआ है। हर देश के गरीब नागरिकों के लिए चुनौती और गंभीर है।

वे पहले से ही रोजमर्रा के जीवन से जूझ रहे थे। उनके पास दोहरी मार से जूझने की आर्थिक क्षमता नहीं है। हमें इस बात को स्वीकार करने से भी संकोच नहीं करना चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र जैसी बहुपक्षीय संस्थाएं इन मुद्दों पर निष्फल रही हैं। और हम सभी इनमे उपयुक्त सुधार करने में भी असफल रहे हैं। इसलिए आज जी-20 से विश्व को अधिक अपेक्षाएं हैं, हमारे समूह की प्रासंगिकता और बढ़ी है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमें यूक्रेन में संघर्ष-विराम और कूटनीति की राह पर लौटने का रास्ता खोजना होगा। पिछली शताब्दी मे, दूसरे विश्व युद्ध ने विश्व मे कहर ढाया था। उसके बाद उस समय के नेताओं ने शांति की राह पकड़ने का गंभीर प्रयत्न किया। अब हमारी बारी है। पोस्ट-कोविड काल के लिए एक नई वैश्विक व्यवस्था की रचना करने का जिम्मा हमारे कंधों पर है।

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