रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम की यात्रा भले ही अंतिम चरण में हो, लेकिन केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चर संचालकों की मनमानी और गुंडागर्दी अभी तक कम नहीं हुई है। आलम यह है कि यात्रियों की अधिक भीड़ होने के कारण संचालक मनमाने दाम वसूल रहे हैं।
गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक घोड़े-खच्चर का किराया 25 सौ रूपये है, लेकिन कोई भी घोड़ा-खच्चर 35 सौ रूपये से कम नहीं जा रहा है। इतना ही नहीं पैदल मार्ग पर दोनों ओर घोड़े-खच्चर चलने के कारण पैदल चलने वाले यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
विश्व विख्यात केदारनाथ धाम की यात्रा अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। सबसे अधिक यात्री इस बार पैदल मार्ग से ही केदारनाथ पहुंचे हैं। अधिकांश यात्री पैदल तो कुछ यात्रियों ने घोड़ा-खच्चर व डंडी-कंडी से यात्रा की है। अभी भी केदारनाथ जाने वाले यात्रियों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है।
जिसका लाभ घोड़े-खच्चर संचालक जमकर उठा रहे हैं। पैदल मार्ग पर घोड़े-खच्चर दोनों ओर से चल रहे हैं। ऐसे में पैदल चलने वाले यात्रियों को भारी दिक्कतें हो रही हैं। इतना ही नहीं घोड़े-खच्चर संचालक पैदल चल रहे तीर्थ यात्रियों से अभद्रता भी कर रहे हैं। कई बार तो वह गाली देने पर उतारू हो रहे हैं।
घोड़े-खच्चरों का सरकारी किराया केदारनाथ धाम तक का 25 सौ रूपये है, लेकिन यात्रियों की भीड़ अधिक होने के कारण घोड़े-खच्चर संचालक मनमाना दाम वसूल रहे हैं। 25 सौ की जगह यात्रियों से चार हजार, 35 सौ लिये जा रहे हैं। यात्रियों के सरकारी रेट पर ले जाने की फरियाद नहीं मान रहे हैं और यदि यात्री पैंसे नहीं दे रहे हैं तो वह सवारियों को नहीं ढ़ो रहे हैं।
रास्ते में इन घोड़े-खच्चरों की कही भी चेकिंग नहीं हो रही है। जिस कारण घोड़े-खच्चर संचालन पैदल यात्रा मार्ग पर खुलेआम गुंडागर्दी फैला रहे हैं। शासन-प्रशासन ने पैदल यात्रा मार्ग पर संचालित हो रहे घोड़े-खच्चरों संचालकों की मनमानी पर रोक लगाने के लिये तमाम दावे किये थे, लेकिन शासन-प्रशासन के दावे सच साबित नहीं हुये हैं।
एक हॉकर एक से अधिक घोड़े-खच्चर का संचालन कर रहा है। केदारनाथ धाम से नीचे उतरने का किराया 15 सौ रूपये है, लेकिन घोड़ा-खच्चर संचालक 15 सौ की बजाय 25 सौ रूपये ले रहे हैं। कुल मिलाकर देखा जाय तो घोड़े-खच्चर अपनी मनमानी कर रहे हैं। उन पर किसी की लगाम नहीं है।