रहस्य जानकारीः बड़े तारे को निगल रहा छोटा तारा 

रांची।अंतरिक्ष में अभी अनेक अनजाने रहस्य हमारी जानकारी से ओझल हैं। जैसे जैसे खगोल विज्ञान तरक्की कर रहा है, हमें इस बारे में नई नई जानकारी मिल रही है। इसी क्रम में पहली बार यह देखा जा रहा है कि एक छोटे आकार का तारा अपने ही पास के एक बड़े तारे को खा रहा है।

बता दें कि जिस तरीके से हमारे सौरमंडल में सूर्य के चारों तरफ अनेक ग्रह चक्कर लगा रहे हैं, वैसी ही स्थिति हमारे सौरमंडल के बाहर भी है। वहां भी अनेक ऐसे तारे और ग्रह हैं, जो एक दूसरे का चक्कर लगा रहे हैं। फिर भी इससे पहले ऐसा नजारा इससे पहले कभी नहीं देखा गया था।

वरना आम वैज्ञानिक मान्यता है कि बड़े आकार का तारा ही छोटे आकार के तारों को अपनी तरफ खींचकर रखता है। यहां पर सब कुछ उल्टा होता हुआ देखा जा रहा है। इसे देखने के बाद फिर से खगोल विज्ञान की पूर्व की सोच को बदलना पड़ रहा है।
शोध दल ने कैलिफोर्निया के पालोमर खगोल केंद्र तथा हवाई के कैनरी द्वीप पर स्थापित खगोल दूरबीनों के आंकड़ों का विश्लेषण करने केबाद यह नतीजा निकाला है। मिल्की वे गैलेक्सी के बाहर मौजूद अधिकांश तारों में हाईड्रोजन मौजूद है जबकि इनमें हिलियम तथा दूसरे पदार्थ कम मात्रा में है।

अब छोटे तारे द्वारा अपने से आकार में बहुत बड़े तारा को निगलते देख पूर्व की मान्यता बदल रही है। समझा जा रहा है कि जो तारा आकार में काफी छोटा दिख रहा है दरअसल उसका घनत्व पास के बड़े तारे से काफी अधिक है।

इसी वजह से वह बड़े आकार के तारे के बाहरी हिस्से को अपनी तरफ खींचकर खाता जा रहा है। यह दोनों तारे एक दूसरे का चक्कर लगा रहे हैं लेकिन बड़े आकार के तारे का आकार बार बार बिगड़ता जा रहा है। ऐसा सिर्फ उस छोटे आकार के तारे की हरकत की वजह से हो रहा है।

अब बड़े आकार का यह तारा इस खिंचाव की वजह से गोलाकार से आंसू के आकार का बन चुका है। दोनों धरती से करीब तीन हजार प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं और हर 51 मिनट में एक दूसरे का चक्कर काट रहे हैं। आम तौर पर इतने कम समय का चक्कर नहीं देखा गया है।

जहां यह दोनों स्थित हैं, वह कॉंस्टेलेशन हरक्यूलिय सौरमंडर के पास है। लगातार यह क्रम जारी रहने की वजह से अब दोनों के बीच इतने करीब आ चुके हैं जो धरती से चांद की दूरी से भी कम है। एमआईटी के एस्ट्रोफिजिक्स विभाग के लोगों ने इसे खोज निकाला है।

इसके बारे में जर्नल नेचर में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गयी है। अनुमान है कि बड़े आकार के तारे का तापमान भी सूर्य के जितनी ही है लेकिन उसे भोजन बनाने वाला छोटा तारा उससे अधिक गर्म है और लगातार बड़े तारे के खींचता जा रहा है। छोटे आकार के इस तारा का आकार शायद धरती से डेढ़ गुणा अधिक है।

लेकिन यह स्पष्ट है कि उसका घनत्व दूसरे तारों से बहुत अधिक है। इसी वजह से वह ऐसा कर पा रहा है। यह दोनों तारे शायद आठ बिलियन वर्ष से एक दूसरे का चक्कर काट रहे हैं। अब यह स्थिति देखकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि शीघ्र ही बड़े तारे को पूरी तरह निगल लेने के बाद छोटे आकार का तारा क्या करेगा, इससे अंतरिक्ष विज्ञान को नई जानकारी मिलेगी।

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