नईदिल्ली। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के कर्नाटक पहुंचते ही इस पर राजनीतिक रंग चढ़ने लगा है। कर्नाटक में भाजपा ने गठबंधन की सरकार को गिराने में सफलता पायी है। अब राहुल गांधी जिन इलाकों से गुजरने वाले हैं, वे राजनीतिक और जातिगत समीकरणों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है।
इसमें वह कर्नाटक कांग्रेस के दो बड़े नेताओँ को अपने साथ करने में सफल रहे और तीनों को ढोल बजाते फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। कर्नाटक के बादानावालु में महात्मा गांधी को उनकी 153वीं जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए राहुल ने तंज कसा।
उन्होंने कहा कि भारतीय राजनीति में महात्मा गांधी का नाम लेना जरूरी है। इसलिए अनेक लोग उनका नाम तो लेते हैं लेकिन महात्मा के बताये रास्तों पर चलने में उन्हें कठिनाई होती है। भारत जोड़ो यात्रा दरअसल बापू के बताये रास्ते पर ही चलने का तरीका है।
दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर दो प्रत्याशी ऐसे बयान दे रहे हैं जो बाद में भाजपा के नेता और खासकर नरेंद्र मोदी के लिए चुनौती बन सकते हैं। इस चुनाव में मल्लिकार्जुन खडगे का पलड़ा साफ तौर पर भारी दिख रहा है। उनके समर्थन में दिग्विजय सिंह के नामांकन न दाखिल करने के बाद अब अशोक गहलोत भी साथ आ गए हैं।
उन्होंने मल्लिकार्जुन खड़गे से आज मुलाकात की और उसके बाद कहा कि उनका चुनाव में उतरना सही फैसला है। अशोक गहलोत ने संशय पर कहा कि मेरा बस चले तो मैं कोई पद न लूं। कभी राहुल गांधी यात्रा में जाऊं और कभी सड़कों पर उतरूं।
आज हालात बेहद खराब हैं, लेकिन अब भी मैं कोई पद छोड़कर जाऊंगा तो लोग कहेंगे कि तकलीफ में कांग्रेस को छोड़कर अशोक गहलोत भाग रहा है। अशोक गहलोत ने कहा कि मेरे लिए अहम यह है कि देश के एकजुट विपक्ष जरूरी है।
देशवासी कहते हैं कि कांग्रेस मजबूत होना जरूरी है और उसके लिए राहुल गांधी निकल चुके हैं। मैं उनके साथ हैं। सीएम पद से इस्तीफे की पेशकश पर अशोक गहलोत ने कहा कि यह सब मीडिया वालों की देन है। मैं तो 10 दिनों से लगातार कह रहा हूं कि इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी और राजीव गांधी के दौर से ही मैं पदों पर रहा हूं। इसलिए मेरे लिए अब कोई पद अहम नहीं है।
इधर अध्यक्ष पद के एक दावेदार शशि थरूर ने रविवार को कहा कि वह उम्मीदवारों के बीच सार्वजनिक बहस चाहते हैं और इसके लिए तैयार भी हैं। उन्होंने कहा कि इससे लोगों की उसी तरह से पार्टी में दिलचस्पी पैदा होगी, जैसे कि हाल में ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व पद के चुनाव को लेकर हुई थी।
शशि थरूर ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी के सदस्यों के दिलों में नेहरू-गांधी परिवार की हमेशा खास जगह रही है और रहेगी। थरूर ने कहा कि कांग्रेस की मौजूदा चुनौतियों का जवाब प्रभावी नेतृत्व और संगठनात्मक सुधार के संयोजन में निहित है।
गौरतलब है कि झारखंड के पूर्व मंत्री के. एन. त्रिपाठी का नामांकन पत्र शनिवार को खारिज होने के बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के अध्यक्ष पद के चुनाव में अब मुकाबला खड़गे और थरूर के बीच होगा। उन्होंने कहा कि संगठनों का उच्च स्तर पर नेतृत्व करने का मेरा विश्वसनीय ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। संयुक्त राष्ट्र के जन सूचना विभाग के अवर प्रभारी महासचिव के तौर पर मैंने दुनियाभर में 77 कार्यालय में 800 से अधिक कर्मियों के संयुक्त राष्ट्र के सबसे बड़े विभाग के संचार का जिम्मा संभाला था।
इसे देखते हुए कई लोगों ने मुझे संयुक्त राष्ट्र संगठन का नेतृत्व करने के लिए चुनाव लड़ने की अपील की थी। दूसरी तरफ मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को कहा कि वह इस चुनाव में किसी के विरोध में नहीं, बल्कि पार्टी को मजबूत करने के लिए उतरे हैं।
उन्होंने इस धारणा को भी खारिज कर दिया कि उन्हें गांधी परिवार का समर्थन हासिल है। खड़गे ने कहा कि कांग्रेस के कई वरिष्ठ और युवा नेताओं के कहने पर वह चुनाव मैदान में उतरे हैं। इस बीच, पार्टी के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के निष्पक्ष चुनाव के लिए दीपेंद्र हुड्डा, सैयद नासिर हुसैन और मैंने कांग्रेस के प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है, अब हम मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए चुनाव प्रचार करेंगे।