नयी दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र महासभा में एस जयशंकर ने अपना संबोधन दिया। जयशंकर ने प्रधानमंत्री मोदी के स्वतंत्रता दिवस पर लिए 5 प्रण का भी जिक्र किया। जयशंकर ने आज भी इस बात को दोहराया कि यूक्रेन संकट का हल वार्ता से किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत हमेशा शांति के पक्ष में रहा है। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन होना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की दिशा में भारत काम कर रहा है। भारत जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से लड़ने के लिए तैयार है। भारत जी 20 देशों के साथ खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में काम करेगा।
विदेश मंत्री ने कहा कि हम भारत की आजादी के 75 साल मना रहे हैं… इस दौर की कहानी लाखों भारतीयों के परिश्रम, दृढ़ संकल्प और उद्यम की है। वे सदियों के विदेशी हमलों, उपनिवेशवाद से पीड़ित समाज का कायाकल्प कर रहे हैं और एक लोकतांत्रिक ढांचे में ऐसा कर रहे हैं।
जिसकी अध्ययन प्रगति अधिक प्रामाणिक आवाजों और जमीनी नेतृत्व में परिलक्षित होती है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन संघर्ष को लेकर हमसे पूछा जाता है कि हम किसके पक्ष में हैं और हमारा जवाब हर बार सीधा और ईमानदार होता है। भारत शांति के पक्ष में है।
हम उस पक्ष में हैं जो बातचीत और कूटनीति को ही एकमात्र रास्ता बताता है। इस संघर्ष का शीघ्र समाधान खोजने के लिए संयुक्त राष्ट्र के भीतर और बाहर दोनों जगह काम करना हमारे सामूहिक हित में है। यूएनजीए में जयशंकर ने साफ तौर पर कहा कि दशकों तक सीमा पार आतंकवाद का खामियाजा भुगतता रहा भारत जीरो टॉलरेंस के दृष्टिकोण की दृढ़ता से वकालत करता है।
उन्होंने कहा कि कभी-कभी घोषित आतंकवादियों का बचाव करने की हद तक यूएनएससी 1267 प्रतिबंध व्यवस्था का जो राजनीतिकरण करते हैं, वे अपने जोखिम पर ऐसा कर रहे हैं। सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता है। भारत बड़े दायित्व को लेने के लिए तैयार है।