मिशन-2024 में जुटी कांग्रेस और भाजपा

कांग्रेस अपने बिखरते कुनबे को बचाने को भारत जोड़ो यात्रा पर निकली
शाह और जेपी नड्डा की अगुवाई में हुई बैठक में लोस चुनाव का मास्टर प्लान तैयार

डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट, नई दिल्ली।

कभी देश की सत्ता का केंद्रबिंदु रही कांग्रेस अपने बिखरते कुनबे को बचाने के लिए इन दिनों कन्याकुमारी से कश्मीर तक की साढ़े तीन हजार किमी लंबी भारत जोड़ो यात्रा पर निकली हुई है। ताकि, किसी तरह से जनविश्वास पाकर 2024 के लोकसभा चुनाव की वैतरणी पार कर सके। इसी बीच भाजपा ने भी सक्रियता बढ़ा कर अपना मिशन-2024 शुरू कर दिया है।
जिसके तहत भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में अमित शाह और जेपी नड्डा की अगुवाई में एक बड़ी बैठक की गई। जिसमे केंद्रीय मंत्रियों समेत तमाम बड़े नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया। बैठक में अमित शाह ने पिछले चुनावों से अधिक सीटें जीतने की बात कही है। साथ ही, ऐसी 144 लोकसभा सीटों की रणनीति पर मंथन हुआए जहां भाजपा का प्रदर्शन पिछले चुनाव में कमजोर रहा है।
नड्डा और शाह के साथ बैठक में भूपेंद्र यादव, गिरिराज सिंह, स्मृति ईरानी, पुरुषोत्तम रूपाला और गजेंद्र सिंह शेखावत सहित 25 से अधिक केंद्रीय मंत्री शामिल हुए। बैठक में विभिन्न मंत्रियों और उनके विभागों की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। ये वे मंत्री थे जिन्हें अन्य नेताओं के अलावा तीन से चार लोकसभा सीट की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं। पार्टी बूथ स्तर पर अपनी उपस्थिति बढ़ाने पर जोर देगी।
साथ ही, केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों पर पार्टी की नजर रहेगी। नेता इन योजना का लाभ विभिन्न समुदायों तक पहुंचने के लिए काम करेंगे। पार्टी नेताओं ने कहा कि वे नेतृत्व द्वारा दिए गए निर्देशों के अलावा इसी तर्ज पर काम करना जारी रखेंगे। बैठक में अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर कोई भी सीट जीती जा सकती है। साथ ही, उन्होंने संगठन के महत्व पर जोर दिया। शाह ने कहा कि जमीनी स्तर पर संगठन मजबूत होना चाहिए। क्योंकि संगठन है तो हम हैं।
बैठक में जिन 144 निर्वाचन क्षेत्रों पर चर्चा हुई, उनमें से अधिकांश में वे शामिल हैं जो पार्टी 2019 के चुनावों में हार गई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 303 सीटें जीती थीं। पार्टी ने 144 सीटों को समूहों में विभाजित किया है और एक केंद्रीय मंत्री को अपना प्रभारी नियुक्त किया है। यूपी में बीजेपी ने क्लीन स्वीप का टारगेट लेकर चल रही है जिसके चलते बीजेपी ने अपने सबसे कमजोर गढ़ पश्चिमी यूपी को सबसे पहले दुरुस्त करने की रणनीति बनाई है और जमीनी स्तर पर काम करना शुरू कर रही है। उत्तर प्रदेश में जहां 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा कमजोर साबित हुई थी। वहां इस बार किसी तरह की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती और अपना पूरा फोकस पश्चिमी यूपी पर केंद्रित कर रखा है।
बीजेपी ने मिशन-2024 के लिए शक्ति केंद्र बना रही है जिसके जरिए से जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने के साथ ही ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं तक पहुंचने की रणनीति है। बीजेपी के पश्चिमी यूपी में 330 मंडल, जबकि 4750 सेक्टर हैं। इन 4750 सेक्टर को शक्ति केंद्रों के रूप में करने में जुटी है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच जा सके। बीजेपी शक्ति केंद्र के जरिए जमीनी स्तर पर संगठन को धार देने की रणनीति बनाई है। पश्चिमी यूपी में करीब 30 हजार बूथ हैं।
2024 लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने बूथ सशक्तिकरण अभियान के तहत जनप्रतिनिधियों को 100-100 बूथों पर जाकर केंद्र और राज्य सरकार योजनाओं के लाभार्थियों से फीडबैक लेने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके लिए उन बूथों को सबसे पहले फोकस किया जा रहा है, जहां पर 2019 के लोकसभा और 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कम वोट मिला हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहारनपुर से लेकर मुरादाबाद और रामपुर तक का इलाका है। 2019 और 2022 के चुनाव में बीजेपी को इसी बेल्ट में सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में बीजेपी अपने शक्ति केंद्र को पीएम मोदी के मन की बात के आयोजन से लेकर सरकारी योजनाओं के फीडबैक लेने और आम लोगों से संवाद कर पार्टी के लिए माहौल बनाने का जरिया रहा है।
बीजेपी शक्ति केंद्रों के जरिए किसानों, युवाओं और महिलाओं पर विशेष ध्यान दे रही है। इसके लिए हाल ही में मेरठ जिले के हस्तिनापुर में किसान मोर्चा की तीन दिवसीय प्रशिक्षण और आगरा में युवा मोर्चा की तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है, इस प्रशिक्षण में सूबे पर दोनों ही फ्रंट के नेता एकजुट हुए थे।
जिसमें उन्हें तीन दिन तक वरिष्ठ नेताओं ने ट्रेनिंग दी है। संगठन में बनाए गए सेक्टरों को सत्ता केंद्र बनाकर निगरानी की जिम्मेदारी वरिष्ठ कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को सौंपी गई है। अब तक पार्टी के अंतिम कार्यकर्ताओं तक पहुंचने के लिए मंडल स्तर को सक्रिय रखा गया था, लेकिन 2024 के टारगेट को देखते हुए सियासी गतिविधियों के लिए मंडल स्तर के बजाय सेक्टर स्तर को शक्ति केंद्र बनाया जा रहा।
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पश्चिम यूपी की सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, रामपुर सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में बीजेपी पश्चिमी यूपी इन लोकसभा सीटों पर अपना ध्यान पूरी तरह से केंद्रित किया है। रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीटें उपचुनाव में जीतने के बाद बीजेपी के हौसले बुलंद हैं जिसके चलते पार्टी ने पश्चिमी यूपी में जमीनी स्तर पर अपनी सक्रियता अभी से बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी है।
2024 के लोकसभा चुनाव की पुख्ता तैयारियों के लिए उत्तर प्रदेश में कई अहम फैसले कर रही है। यूपी बीजेपी की प्लानिंग का ही नतीजा है कि सरकार के बाद पार्टी संगठन ने भी पश्चिमी का कद बढ़ाया गया है। बिजनौर के धर्मपाल सिंह की प्रदेश महामंत्री संगठन जैसे महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति की गई। सरकार और संगठन के बीच समन्वय की जिम्मेदारी पश्चिम को देकर 2024 के लक्ष्य को आगे बढ़ाया गया है।
बिहार में भाजपा विरोधी महागठबंधन के साथ नीतीश कुमार का साथ  बीजेपी को बड़ा नुकसान दे रहा है। नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद से बिहार  में महागठबंधन के सांसद बढ़कर 17 हो गए हैं जबकि एनडीए के खाते में 23 सीटें रह गई हैं। बिहार महागठबंधन में फिलहाल सात राजनीतिक दल हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में दलों की संख्या कम रह गई है। चिराग पासवान और पशुपति पारस फिलहाल भाजपा के साथ दिख रहे हैं। कुल मिलाकर, भाजपा के 23 सांसद हैं। भाजपा के लिए चुनौती अब मिशन 2024 है।
मिशन 2024 को साधने के लिए दिल्ली में कोर कमेटी की बैठक में बिहार भाजपा के कई बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया और अपनी राय रखी। बिहार में भाजपा की नजर अति पिछड़ा वोट बैंक पर है। भाजपा नेता अति पिछड़ा वोट बैंक साधने के लिए नरेंद्र मोदी को भी अति पिछड़ा करार दे रहे हैं। बिहार में अति पिछड़ा वोट लगभग 20 प्रतिशत है। 2020 के विधानसभा चुनाव में जब भाजपा और जदयू साथ थी, तब एनडीए को 35 प्रतिशत वोट मिले थे। जदयू और राजद के एक साथ होने के बाद से 50 प्रतिशत वोट शेयर महागठबंधन के पक्ष में दिख रहा है। 2020 के चुनाव में भाजपा को 19.46 प्रतिशत तो जदयू को 15.40 प्रतिशत वोट मिले थे। राजद को 31.11 प्रतिशत तो कांग्रेस को 9.48 प्रतिशत वोट मिले थे।
लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी के तहत भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड में पांच नए संगठनात्मक जिले गठित कर दिए हैं। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की अध्यक्षता में नवनियुक्त प्रदेश पदाधिकारियों व जिला अध्यक्षों की बैठक में पांच नए संगठनात्मक जिलों के गठन की जानकारी दी गई। जिसमें रुड़की, ऋषिकेश, कोटद्वार, काशीपुर और रानीखेत का नाम शामिल है।
हरिद्वार पंचायत चुनाव की जिम्मेदारी अल्पसंख्यक मोर्चे को सौंपी गई है। बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अपने काम के बूते सत्ता के मुकाम पहुंची है। सामाजिक परिवर्तन की दिशा में भाजपा ने चिंतन और मनन के आधार पर समाज को खुद से जोड़ा है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकारों में सभी कार्य योजना समाज को केंद्रित करके बनती है। सरकार के सभी निर्णय निचले स्तर पर कार्यकर्ताओं के माध्यम से पहुंच रहे हैं। उसी का परिणाम है कि 2022 में भाजपा सरकार प्रदेश में दोबारा स्थापित हुई है।
भाजपा की परिचयात्मक बैठक में प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि भाजपा सेवा, संकल्प और समर्पण के मूल्यों पर चलती है। उन्होंने कहा कि भाजपा में अनेक योग्य कार्यकर्ता हैं। सभी को साथ मिलकर संगठन के कार्यों को गति देना है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य भौगोलिक दृष्टि से आपदा ग्रस्त राज्य है। कब, कहां आपदा आ जाए, इसका पूर्वानुमान अब तक संभव नहीं हो पाया है। इस स्थिति में समाज को साथ लेकर उस भयावह स्थिति से निपटने के लिए बढ़ना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मात्र हमारी ऐसी सरकार है जो अपने निर्णयों को और अपने कामों को समाज के सामने हर साल रखती है। उत्तराखंड प्रदेश प्रभारी व लोकसभा सांसद रेखा वर्मा ने बैठक में आह्वान किया कि सभी अपने दायित्वों का पूरी जिम्मेदारी से निर्वहन करते हुए अभी से 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाएं।
उन्होंने कहा, मोदी-धामी सरकार की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाना है। विपक्ष आज मुद्दा विहीन है। इसीलिए वह झूठ और भ्रम के सहारे लोगों को भ्रमित करने का प्रयास कर रहा है। ऐसे में हम सबकी यह जिम्मेदारी बन जाती है कि हम विपक्ष के झूठ को बेनकाब करें।
प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय ने कहा कि हम पार्टी व समाज में अपना अच्छा व्यवहार स्थापित कर ही आगे बढ़ सकते हैं। सभी भाजपा कार्यकर्ताओं को पार्टी की ओर से बनाई गई योजनाओं को जनता को फायदा दिलवाने के लिए घर-घर जाने का भी आह्वान किया।
उन्होंने बैठक में विभागों-प्रकोष्ठों की कार्ययोजना से पदाधिकारियों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र और जिले स्तर पर विभाग-प्रकोष्ठों के कार्यकर्ताओं को समायोजित किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि नए दायित्वों से जुड़े लोग जनता से सीधा संवाद रखें और संगठन की नीतियों को जन-जन से जोड़ कर इसे और अधिक व्यापक बनाएं। सभी ईमानदारी पूर्वक 2024 के लक्ष्य प्राप्ति में जुट जाने की बात कही गई।
भाजपा के इसी मिशन 2024 को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी स्थापना के शताब्दी वर्ष में देश भर में अपनी शाखाओं की संख्या साल 2024 तक बढ़ा कर 1 लाख करने का फैसला किया है।
वर्तमान में संघ की शाखाओं की संख्या 56,824 है। बैठक में गत वर्ष की समीक्षा की गई तथा आगामी दो वर्ष के कार्य योजनाओं का लक्ष्य तैयार किया गया। संघ की इस अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक में संघ के देशभर के सभी 45 प्रांतों के प्रांत प्रचारक व सह प्रांत प्रचारक शामिल हुए।
जिनमें संघ के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले सहित सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल, सी आर मुकुंद, अरुण कुमार और रामदत्त शामिल रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पश्चिम क्षेत्र मुख्यालय शंकर आश्रम हरिद्वार में उत्तराखंड के संघ पदाधिकारियों के दायित्वों में बदलाव को लेकर मैराथन बैठक हुई। संघ पदाधिकारियों की स्थिति और उत्तराखंड को लेकर क्षेत्र प्रचारक महेंद्र सिंह के स्तर पर विचार-.विमर्श किया गया। हालांकि, संघ के पदाधिकारियों के अनुसार कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ। अंतिम निर्णय दिल्ली में संघ का शीर्ष नेतृत्व करेगा।
संघ के उत्तराखंड के बड़े पदाधिकारियों के नाम विधानसभा भर्ती में सामने आने के बाद नागपुर तक हलचल मच गई थी। संघ के उत्तराखंड से जुड़े चार बड़े पदाधिकारियों पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों को नौकरी लगवाई। यह मामला रायपुर में हुई अखिल भारतीय बैठक में भी उठा। भर्ती मामले में संघ पदाधिकारियों का नाम आने के बाद बदलाव की चर्चा चल पड़ी है जिसका प्रतिकूल प्रभाव भाजपा के मिशन 2024 पर भी पड़ सकता है।

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