न्यायमूर्ति इरशाद हुसैन की कमेटी की रिपोर्ट का क्या हुआ: हाईकोर्ट

राजकीय सेवाओं में प्रमोशन में आरक्षण के लिए कैडर वाइज रोस्टर अभी तक क्यों नहीं बनाया

नैनीताल । नैनीताल उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा है कि 2016 में न्यायमूर्ति इरशाद हुसैन कमेटी की रिपोर्ट पर क्या निर्णय लिया गया है। न्यायालय ने सरकार से लिए गए निर्णय के साथ ही राजकीय सेवाओं में प्रमोशन पर आरक्षण के लिए कैडर वाइज रोस्टर अभी तक न बनाए जाने पर जवाब तलब कर दिया है। जवाब दाखिल करने के लिए सरकार को छह सप्ताह का समय दिया गया है। इसके साथ ही अगली सुनवाई 23 फरवरी नियत कर दी है।
गौरतलब है कि सचिवालय अनुसूचित जाति एवं जनजाति कार्मिक संगठन के अध्यक्ष वीरेंद्र पाल सिंह ने ने एक याचिका दायर की है। इसमें सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 28 जनवरी 2021 को जनरैल सिंह बनाम लक्ष्मी नारायण के केस में दिए गए आदेश का हवाला दिया गया है। याचिका में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय ने राजकीय सेवाओं में राज्य सरकारों को प्रमोशन में आरक्षण के लिए कैडर वाइज रोस्टर तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार ने अभी तक इस आदेश का पालन नहीं किया। याचिका में यह भी कहा गया कि 2012 में इंदु कुमार पांडे कमेटी की रिपोर्ट ने माना था कि उत्तराखंड के राजकीय सेवाओं में प्रमोशन में आरक्षण के लिए अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों के प्रत्यावेदनों का प्रतिनिधित्व कम है।

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि इसी का समाधान खोजने के लिए राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति इरशाद हुसैन की कमेटी भी गठित की गई थी। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 2016 में राज्य सरकार को सौंपी गयी। याचिका में कहा गया है कि अभी तक न्यायमूर्ति इरशाद हुसैन कमेटी की रिपोर्ट को राज्य सरकार ने सार्वजनिक नहीं किया।

याचिका में कहा गया है कि दस साल बीत जाने के बाद भी इंदु कुमार पांडे की रिपोर्ट पर पुनर्विचार नहीं किया गया। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की संयुक्त खंडपीठ में चल रही है। सुनवाई के दौरान संगठन के प्रतिनिधि सत्यपाल सिंह, विनोद कुमार व शंकर लाल मौजूद रहे।

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