विधानसभा में बैकडोर हुई भर्तियों में कौशिक,रेखा आर्य, अजेय कुमार तथा सीएम के करीबी : करन माहरा

माहरा ने बताया प्रदेश के बेरोजगारों के हितों पर कुठाराघात है बैकडोर भर्ती

देहरादून। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्तियों में हुई गड़बड़ी को लेकर कड़े तेवर में दिख रही मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने विधानसभा की भर्तियों को भी निशाने पर लिया है। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने दो टूक शब्दों में कहा है कि काबीना मंत्री एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल में हुई 129 भर्तियों में बहुत बड़ा झोल हुआ है।
उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष करण मेहरा ने इस मामले में भाजपा सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा है कि भाजपा के राज में उत्तराखंड की अस्मिता हर स्तर पर तार-तार हो गयी है। माहरा ने कुछ ऐसे सिफारिशी लोगों के नामों का उल्लेख भी किया है, जिन्हेें चौथी विधानसभा में नौकरी दी गयी।

नौकरी पाने वाले 129 लोगों में पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के पीआरओं, कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य के पीआरओ, भाजपा संगठन महामंत्री अजेय कुमार के पीआरओ के साथ ही सीएम के दो विशेष कार्य अधिकारियों की पत्नियां शामिल हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि यह तो सिर्फ बानगी भर है। इन भर्तियों को लेकर बहुत सारी बातें फिजाओं में तैर रही हैं।  प्रदेश अध्यक्ष ने पुरजोर शब्दों में इस तरह की कार्यप्रणाली और परिपाटी की निंदा करते हुए कहा कि यह राज्य के लिए बहुत ही अधिक चिंतनीय और घातक है क्योंकि यही परिपाटी युवाओं में हो रहे आक्रोश और अवसाद को जन्म दे रही है।

माहरा ने कहा की उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य के भविष्य के लिए इस तरह की बंदरबांट अच्छे संकेत नहीं है। उन्होंने कहा है कि राज्य के लाखों बेरोजगार युवाओं के साथ छलावा करते हुए जिस तरह विधानसभा में बड़े नेताओं के करीबियों को सरकारी नौकरी की रेवड़ी बांटी गयी उससे इस राज्य की स्थिति अंधेर नगरी चौपट राज वाली हो गयी है।
मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी के हवाले से कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि देश की सबसे बड़ी विधानसभा उत्तर प्रदेश में मात्र 543 कर्मचारी तैनात हैं और उत्तराखंड की छोटी सी विधानसभा में उससे अधिक कार्मिकों को बैकडोर से सरकारी नौकरी दे दी गयी।

कार्मिकों की पर्याप्त संख्या के बावजूद चौथी विधानसभा में 129 कर्मचारियों को बैकडोर से नौकरी देकर जनता की गाढ़ी कमाई पर डाका डालने का काम किया है। माहरा ने कहा है कि उत्तराखंड राज्य के 85 हजार करोड$ के कर्ज में डूबे होने के बावजूद राज्य विधानसभा में कर्मचारियों की संख्या 56 के पार कर दी गयी है। महारा ने कहा की जिन लोगों को नौकरियां मिली हैं उनकी पृष्ठभूमि पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं।

महारा ने कहा कि जिस तरह से नेताओं ने अपने करीबियों को नौकरी दिलाने के लिए पैरवी की है वह सरासर उत्तराखंड के युवाओं के साथ पक्षपात ही नहीं बल्कि उनके भविष्य के साथ कुठाराघात है। माहरा ने कहा कि यह सच बात है कि उत्तराखंड में बेरोजगारी आज विकराल रूप ले चुकी है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सिर्फ पहुंच वाले और बड़े लोगों के सगे संबंधियों को ही मौका दिया जाए।

उन्होंने कहा है कि नौकरियों में सभी को समान अवसर मिलना चाहिए, कोई भी भर्ती हो वह मेरिट के आधार पर होनी चाहिए। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पैसा लेकर नौकरी देने की बहुत सारी बातें सूत्रों से निकल कर आ रही हैं। यदि ऐसा सही मायने में हुआ तो यह इस राज्य के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और घातक संकेत है।

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