हाकम प्रकरण से पुलिस व अभिसूचना के पूरे तंत्र पर ही सवाल: माले
उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के नाम खुला पत्र
देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा सेवा चयन आयोग (यूकेएसएससी) की नियुक्तियों में भ्रष्टाचार का मसला, इस समय सुर्खियों में बना हुआ है।
इस मामले में एसटीएफ द्वारा की जा रही कार्यवाही की भी तारीफ की जा रही है कि एसटीएफ ने त्वरित कार्यवाही करते हुए कई आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिसमें अब तक इस पूरे मामले का मास्टर माइंड बताया जा रहा- जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह रावत भी शामिल है।
अब तक की गयी कार्यवाही, कुछ उम्मीद तो जगाती है कि युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले भ्रष्टाचारी, सजा पाएंगे इसके लिए आप, उत्तराखंड पुलिस और एसटीएफ बधाई के पात्र हैं।
अब तक इस मामले में मास्टरमाइंड बताए जा रहे- हाकम सिंह रावत का जिक्र आया तो ध्यान आया कि हाकम सिंह का नाम सामने आने के बाद, निरंतर उसके बारे में कई खुलासे हो रहे हैं। एक एफआईआर भी सोशल मीडिया में घूम रही है।
यह एफआईआर 2020 में फॉरेस्ट गार्ड परीक्षा में हुए घपले से सम्बंधित है, जो हरिद्वार जिले के मंगलौर पुलिस थाने में दर्ज हुई थी। इस एफआईआर में भी हाकम सिंह का नाम था।
परीक्षा में धांधली के आरोप हाकम सिंह पर पहले से लगते रहे हैं, यह एफआईआर इस बात का सबूत है। लेकिन इसके बावजूद हाकम सिंह और उस जैसे अब तक महफूज रहे$ हाकम सिंह के गिरफ्तार होने के बाद उसकी माननीय मुख्यमंत्री, माननीय पूर्व मुख्यमंत्री व माननीय मंत्रीगणों के साथ तस्वीरें वायरल हो रही हैं।
लेकिन इससे भी हैरत की बात है, आपकी सपरिवार तस्वीर भी हाकम सिंह के साथ वायरल हो रही है यह तस्वीर हाकम सिंह के रिजॉर्ट की बताई जा रही है।
हाकम सिंह नेताओं को टोपी पहना रहा था। लेकिन हैरत यह है कि वह राज्य की पुलिस के सबसे बड़े अधिकारी को भी टोपी पहना रहा था ! हाकम सिंह पकड़ा भले ही अब गया हो, लेकिन जैसी जानकारी अब सामने आ रही है, उससे तो ऐसा लगता है कि परीक्षाओं में धांधली के जरिये धन कमाने की राह पर तो वह काफी पहले निकल पड़ा था आम जनता को उसके इस काले रास्ते का पता न हो और उसके सामने सिर्फ दौलत के चमचमाते महल ही सामने आएँ, यह मुमकिन है।
लेकिन महोदय, आपसे मेरा सीधा प्रश्न है कि जब हाकम सिंह के रिजर्ट में आप रुके तो क्या आप जानते थे कि वह किस प्रवृत्ति का व्यक्ति है, उसने यह धन-संपदा कैसे अर्जित की है अगर आप जानते थे तो मुझे इस पर कुछ नहीं कहना है, तब कहने को बचा ही क्या है।
लेकिन अगर आप नहीं जानते थे तो यह प्रदेश में पुलिस और अभिसूचना के पूरे तंत्र पर ही प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है आखिर इतने बड़े तंत्र के बावजूद कैसे पुलिस जैसे महकमे के सबसे बड़े अफसर को इस बात से गाफिल रखा जा सकता है कि जहां वे ठहरने जा रहे हैं, वह घोषित अपराधी तो नहीं है, परंतु उसकी पृष्ठभूमि संदिग्ध जरूर है।
महोदय, आप थोड़ा सामान्य व्यक्ति के नजरिए से इस बात पर विचार करके देखिये आपकी एसटीएफ एक व्यक्ति को भर्ती घोटाले के लिए गिरफ्तार करती है और उसे इस पूरे कांड का मास्टर माइंड बताती है उसकी गिरफ्तारी के कुछ ही समय में इस मास्टर माइंड के साथ आपकी तस्वीरें सोशल मीडिया में तैरने लगती हैं।