मुंबई। बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नीतिगत दरों में आज आधी फीसदी की बढ़ोतरी करने के साथ ही यह अब कोरोना महामारी के पहले के स्तर को पार कर गयी है।
रिजर्व बैंक के आज के इस निर्णय से अब घर, कार और अन्य प्रकार के ऋण महंगे हो जाएंगे। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैठक में लिए गये निर्णय की जानकारी देते हुये कहा कि देश में वैश्विक कारकों से महंगाई में बढ़ोतरी हो रही है।
इस वर्ष जून में लगातार छठे महीने में खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक के लक्ष्य छह प्रतिशत से ऊपर बनी रही है। विकास को गति देने तथा महंगाई को काबू में करने के उद्देश्य से नीतिगत दरों में आधी फीसद की बढ़ोतरी की गयी है।
उन्होंने कहा कि इस बढ़ोतरी से खुदरा महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिलने की उम्मीद है और महंगाई को मध्यावधि में छह प्रतिशत के लक्षित दायरे में लाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इस बढ़ोतरी के बाद रेपो दर 4.90 प्रतिशत से 0.50 प्रतिशत बढ़कर 5.40 प्रतिशत पर, सटैडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी दर (एसडीएफ) 4.65 प्रतिशत से 0.50 प्रतिशत बढ़कर 5.15 प्रतिशत, बैंक दर 5.15 प्रतिशत से बढ़कर 5.65 प्रतिशत पर तथा मार्जिनल सटैडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) 5.65 प्रतिशत पर पहुंच गयी है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी के शुरू होने से पहले रेपो दर 5.15 प्रतिशत पर थी। माहामारी के दौरान लॉकडॉउन से मांग प्रभावित होने के कारण रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों में भारी कमी की थी और यह रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गयी थी।
रिजर्व बैंक ने तीन बार बढ़ोतरी कर इसको कोरोना काल के पहले के स्तर के पार पहुंचा दिया है। हालांकि रिजर्व बैंक इसका उपयोग महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कर रहा है लेकिन इससे घर , कार और अन्य वस्तुओं के लिए ऋण महंगा हो जायेगा।