रुद्रप्रयाग। मानसूनी सीजन में पहाड़ों पर सफर करना खतरनाक साबित हो सकता है। खासकर ऋषिकेश—बद्रीनाथ हाईवे पर बिना बारिश के ही पहाडिय़ों के दरकने से परेशानियां बढ़ गई हैं। ऐसे में कब और कहां से बोल्डर और मलबा गिर जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है।
ऐसी ही कुछ स्थिति आज बद्रीनाथ हाईवे पर रुद्रप्रयाग सात किमी दूर नरकोटा के निकट देखने को मिली। यहां पर हाईवे की पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा, बोल्डर और पेड़-पौधे हाईवे पर गिरे और चारों ओर अफरा-तफरी का माहौल बन गया। गनीमत यह रही कि हाईवे पर चलने वाले लोग पहले से ही सतर्क हो गये।
मानसून आता है और पहाड़ों को बर्बाद करके चला जाता है। इन दिनों भी पहाड़ों के बर्बाद होने की स्थिति दिखाई दे रही है। बारिश के बाद जगह-जगह पहाडिय़ां दरक गई हैं।
अब स्थिति यह भी हो गई है कि बिना बारिश के ही पहाड़ दरक रहे हैं। बिना बारिश के दरक रहे पहाड़ों के कारण दुर्घटनाओं को भी अत्यधिक खतरा बढ़ गया है। ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी जगह-जगह डेंजर जोन बन गये हैं और इन दिनों व सक्रिय हो गये हैं। बारिश हो या ना हो, ये डेंजर जोन तबाही मचा रहे हैं।
रुद्रप्रयाग से सात किमी दूर नरकोटा और खांखरा के बीच में बिना बारिश के ही पहाड़ी दरक रही है। एक साथ पहाड़ी से मलबा, बोल्डर और पेड़-पौधे टूट रहे हैं। वो तो गनीमत रही कि पहाड़ी के टूटने से पहले ही हाईवे पर सफर कर रहे लोग सतर्क हो गये ओर पहले ही रुक गये।
नरकोटा में भूस्खलन होने के बाद तीन घंटों तक हाईवे पर आवाजाही ठप रही और चारधाम यात्रियों के साथ ही स्थानीय लोग भी परेशान रहे। नरकोटा डेंजर जोन सिरोबगड़ जैसा रूप ले रहा है। दो सौ से अधिक क्षेत्र में यहां पर भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। पहाड़ी बोल्डर अटके हुये हैं, जो इन दिनों गिर रहे हैं।
पिछले मानसून सीजन में भी नरकोटा में हाईवे की दयनीय हालात हो गये थे। चारधाम यात्रा और स्थानीय जनता की दिक्कतों को देखते हुये नरकोटा का ट्रीटमेंट किया जाना आवश्यक है।
अच्छा है की हाईवे पर यात्रा कर रहे लोग पहले से सतर्क हो गए नही तो बड़ी दुर्घटना का रुप ले सकती थी परिस्थितियां .