नयी दिल्ली : लोकसभा में हिमाचल प्रदेश और नागालैंड में बनाए गए परिवार न्यायालयों के गठन को कानूनी मान्यता प्रदान करने वाला परिवार न्यायालय (संशोधन) विधेयक 2022 मंगलवार को पारित किया गया।
कानून एवं विधि मंत्री किरेन रिजिजू ने परिवार न्यायालय (संशोधन) विधेयक 2022 पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य हिमाचल प्रदेश और नागालैंड में बनाए गए परिवार न्यायालयों के गठन को कानूनी मान्यता प्रदान करना है। इसके साथ ही इन अदालतों के सभी फैसलों, आदेशों, नियमों, नियुक्तियों आदि को वैध करार देना है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने 15 फरवरी 2019 को एक अधिसूचना जारी कर तीन परिवार न्यायालयों का गठन किया था। वहीं नागालैंड ने 12 सितंबर 2008 को दो फैमिली कोर्ट का गठन किया था।
इन दोनों राज्यों के न्यायालय तब से लगातार काम कर रहे हैं। इन अदालतों में हजारों केस के निर्णय हो चुके हैं इसलिए इन अदालतों को मान्यता देने का विधेयक लाया गया है।
कानून मंत्री ने कहा कि इन दोनों राज्यों के फैमिली कोर्ट को मान्य ठहराने और इनके फैसलों को कानूनी करार देने के लिए ये संशोधन विधेयक लाया गया है। कानून मंत्री ने कहा कि हमारी कोशिश है कि हर जिले में पारिवारिक अदालत का गठन किया जाए ताकि मामलों का तेजी से निपटाया जा सकें।
इसके लिए राज्य सरकारों से आग्रह किया जाएगा। उन्होंने जजों की नियुक्ति में देरी के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि उनकी सरकार के नियुक्तियों के मामले बेहतरीन काम किया है। सरकार नियुक्तियों के लिए तेजी से काम कर रही है।
सरकार की तरफ से जजों की नियुक्ति में किसी प्रकार का विलम्ब नहीं किया जाता है। कानून मंत्री ने कहा कि अदालतों को बेहतर करने के लिए आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिए पिछले आठ साल में जो काम हुए हैं वह साठ सालों में नहीं हुआ है।
देश भर की अदालतों ने महामरी के दौरान शानदार काम किया और बडी संख्या में मामलों को निपटाया जिसकी चर्चा दुनियाभर में हो रही है।