ऑल वेदर रोड से भागीरथी इको सेंसिटिव जोन का पेच खत्म

सीमा के हाईवे के लिए पर्यावरण अनुमति की नहीं होगी जरूरत

देहरादून। गंगोत्री से लेकर गौमुख तक भागीरथी इको सेंसिटिव जोन से गुजर रही ऑल वेदर रोड को चौड़ा करने और जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार में पर्यावरण अनुमति का पेच खत्म हो गया है।

दरअसल, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पर्यावरण प्रभाव आकलन नीति-2006 में संशोधन कर दिया है। इससे सीमाई इलाकों में बनने वाले राजमार्गों, बायोगैस से चलने वाले ऊर्जा संयंत्रों, एयरपोर्ट टर्मिनलों के विस्तार और बंदरगाहों में मत्स्य भंडारण की क्षमता बढ़ाने आदि के लिए अब पूर्व पर्यावरण अनुमति की जरूरत नहीं होगी।

हाल में इस संशोधित नीति की अधिसूचना जारी कर दी गई है। बता दें कि इसके पहले पर्यावरणविदों व मंत्रालय के अधिकारियों के विरोध के बावजूद अप्रैल में केंद्र ने इसका मसौदा जारी किया था। जिस पर साठ दिन में टिप्पणियां देनी थीं। दिलचस्प बात यह है कि मंत्रालय का कहना है कि इस बदलाव के इस मसौदे को लेकर उसे कोई आपत्ति नहीं मिली।
नई नीति के तहत सीमांत क्षेत्रों में हाईवे बनाने वालों को केवल केंद्र द्वारा समय समय पर जारी होने वाली मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का ही पालन करना होगा।

नई नीति से उत्तराखंड की चार धाम रोड परियोजना के उच्च हिमालयी क्षेत्र में पड़ने वाले इलाकों में हाईवे बनाने के लिए पर्यावरण अनुंमति की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि वे लाइन ऑफ कंट्रोल या कहें भारत चीन सीमा के 100 किलोमीटर के दायरे में पड$ते हैं। 14 जुलाई को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि सीमा क्षेत्रों के हाईवे प्रोजेक्ट सामरिक और रणनीतिक दृष्टि से बहुत संवेदनशील हैं।

केंद्र मानता है कि इन परियोजनाओं को पर्यावरण अनुमति से छूट मिलनी चाहिए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की चारधाम परियोजना को लेकर गठित हाई पावर्ड कमेटी ने जुलाई 2020 में अपनी फाइनल रिपोर्ट मे साफ कहा था भागीरथी इको सेंसिटिव जोन में सड़क चौड़ीकरण से पहले उसके पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन किया जाना चाहिए। ऐसे में अब इसकी जरूरत नहीं रहेगा।

2012 के दिसंबर में पर्यावरण मंत्रालय ने गौमुख से उत्तरकाशी तक के 10 किमी यानी करीब 4179.59 वर्ग किमी क्षेत्र को भागीरथी इको सेंसिटिव जोन घोषित किया था। इसमें से करीब 98 फीसद इलाका संरक्षित वन क्षेत्र है। 59 फीसद क्षेत्र हिमनद क्षेत्र है।

पर्यावरणविद व भूगर्भ विद अस्थिर हिमालयी क्षेत्र में सड$क बनाने के लिए होने वाले पेड़ों के कटान , पहाड़ी ढलानों के कटान, मलबे की निस्तारण को पर्यावरण के लिए खतरनाक मानते हैं।

बीते साल देश की रक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चारधाम परियोजना में 10 मीटर चौड़ी सड़क बनाने की इजाजत दे दी थी, जिसके बाद चारधाम परियोजना को लेकर गठित हाई पावर्ड कमेटी के अध्यक्ष पर्यावरणविद डॉ. रवि चोपड़ा ने इसी साल जनवरी में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

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