नैनीताल। उच्च न्यायालय ने लीज खत्म होने के बावजूद जमीन रूड़की नगर निगम में समाहित नहीं करने और निगम की मिलीभगत से उक्त भूमि कब्जेधारक के नाम करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को रूड़की नगर निगम से जवाब मांगा और साथ ही कब्जाधारक को भी नोटिस जारी किया गया।
न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की युगलपीठ ने आज रूड़की के समाज सेवी राकेश अग्रवाल की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद ये निर्देश दिये। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि रूड़की नगर निगम द्वारा 1950 और 1954 में बीटी गंज स्थित 1200 वर्ग फुट के दो आवासीय प्लॉट ओमप्रकाश नामक व्यक्ति को लीज पर आवंटित कर दिये गये।
लीज करते वक्त नवीनीकरण का प्रावधान खत्म कर दिया गया था। 1980 और 1984 में लीज खत्म होने तथा असली लीजधारक की मौत के बावजूद नगर निगम द्वारा प्रापर्टी को वापस नहीं लिया गया। प्रॉपर्टी पर ओमप्रकाश के बेटे काबिज हैं और निगम ने बिना प्रक्रिया का पालन किये बिना असली लीजधारक की जगह उनके बेटे का नाम दर्ज कर दिया। लीज में कोई परिवर्तन नहीं किया।
इसके बाद कब्जेधारक की ओर से निगम से जमीन के नवीनीकरण के लिये प्रस्ताव दिया गया और कुछ पार्षदों ने मेयर को पत्र लिखकर इसका समर्थन कर दिया और निगम ने उस पत्र के आधार पर प्रस्ताव पास कर दिया। इसके लिये निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि कब्जाधारकों द्वारा इस जमीन का व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है और इससे नगर निगम को आर्थिक नुकसान हो रहा है। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत से जमीन को वापस निगम में समाहित करने और प्रकरण की जांच कर दोषियों को सजा देने की मांग की गयी है।
साथ ही कि कब्जेधारक द्वारा जमीन से लिये गये लाभ को मुआवजा के तौर पर निगम को वापस दिलाया जाये। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वीरेन्द्र सिंह अधिकारी ने बताया कि पीठ ने मामले को सुनने के बाद नगर निगम को इस मामले में जवाब देने को कहा हैं। साथ ही कब्जेधारक को नोटिस जारी किया है। इस मामले की अगली सुनवाई अगस्त अंतिम सप्ताह में मुकर्रर की गयी है।
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