केदारघाटी से छह हेली सेवाओं ने समेटा अपना बोरिया बिस्तर

रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम में मानसून ने पूरी तरह से दस्तक दे दी है। जहां केदार नगरी कोहरे की चपेट में है। वहीं केदारनाथ धाम के लिये संचालित होने वाली हेली सेवाएं भी केदारघाटी से अपना बोरिया-बिस्तर समेटकर चली गई हैं।

नौ हेली सेवाओं में से तीन हेली सेवाएं ही अपनी सेवाएं दे रही हैं, लेकिन धाम में मौसम खराब होने के कारण ये हेली सेवाएं भी उड़ान नहीं भर रही हैं। ऐसे में एक-दो दिनों के भीतर ये हेली सेवाएं भी यहां से चली जाएंगी। अभी तक हेली सेवाओं से अस्सी हजार से अधिक यात्री बाबा केदार के दर्शन कर चुके हैं।
दरअसल, पहाड़ों में मानसून ने दस्तक दे दी है। मानसूनी बारिश में पहाडिय़ों का दरकना भी शुरू हो गया है। मानसून की पहली ही बारिश ने रुद्रप्रयाग में एक व्यक्ति की जान ली है। जबकि एक व्यक्ति घायल हुआ है।

साथ ही दो बसे पहाड़ी से गिरे बोल्डरों की चपेट में आने से क्षतिग्रस्त हुई हैं। केदारनाथ धाम की बात करे तो धाम में इन दिनों जहां लगातार बारिश हो रही है। वहीं धाम पूरी तरह से कोहरे की चपेट में भी आ गया है।

धाम में मौसम खराब होने का असर केदारनाथ के लिये उड़ाने भरने वाली हेली सेवाओं पर पड़ा है। धाम में जहां पिदले सप्ताह से नौ हेली सेवाएं उड़ाने भर रही थी। वहीं अब मात्र तीन हेली सेवाएं उड़ाने भर रही हैं। ये तीन हेली सेवाएं भी मौसम खराब होने पर केदारनाथ नहीं जा पा रही हैं। ऐसे में ये हेली सेवाएं भी जल्द केदारघाटी से अपना बोरिया बिस्तर समेट सकती हैं।
धाम के लिये संचालित होने वाली ऐरो एविएशन गुप्तकाशी, पवन हंस, क्रिस्टल, पिनेकल, थंबी और ऐरो सोनप्रयाग हेली सेवाएं केदारघाटी से अपना सामान समेट चुकी हैं। जबकि चिप्सन फाटा जामू, आर्यन गुप्तकाशी और हिमालयन शेरसी से अपनी सेवाएं दे रही हैं। चिप्सन और आर्यन तीस जून तक सेवाएं देती रहेंगी। जबकि हिमालयन दस जुलाई तक रहेगा।

इस बीच मौसम लगातार खराब होता है तो ये हेली सेवाएं भी यहां से अपना सामान समेट लेंगी। फिर केदारनाथ धाम के लिये सितम्बर माह से मौसम साफ होने पर हेली सेवाएं शुरू होंगी।
केदारनाथ हेली सेवा नोडल अधिकारी सुशील नौटियाल ने बताया कि मानसून सीजन शुरू होने पर छह हेली सेवाएं घाटी से चली गई हैं। जबकि तीन हेली सेवाएं अभी भी सेवाएं दे रही हैं। चिप्सन और आर्यन तीस जून तक अपनी सेवाएं देंगी और हिमालयन हेली सेवा मौसम साफ रहने पर दस जुलाई तक यहीं रहेगी।

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