खेती में रासायनिक आदानों पर निर्भरता को कम करने के लिए वैकल्पिक कृषि पद्धतियों के प्रचार तोमर ने दिया बल
शिमला। खेती में रासायनिक आदानों पर निर्भरता को कम करने के लिए वैकल्पिक कृषि पद्धतियों के प्रचार और विकास की दिशा में काम करने की आवश्यकता पर केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बल दिया।
तोमर ने डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी का दौरा करते हुए यह विचार व्यक्त किए। उन्होंने गुरुवार को सोलन में एक कार्यक्रम में शामिल होना था जिसके लिए वह विश्वविद्यालय में ठहरे थे।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल के साथ चर्चा के दौरान कृषि मंत्री ने कृषि विश्वविद्यालयों के छात्रों के लिए प्राकृतिक खेती पर पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए गठित राष्ट्रीय समिति की प्रगति पर भी जानकारी ली।
इस राष्ट्रीय समिति के सदस्य प्रो. चंदेल ने कृषि मंत्री को समिति द्वारा किए गए कार्यों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने सुझाव दिया कि पाठ्यक्रम को इस तरह से डिजाइन किया जाना चाहिए कि यह व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करने पर केंद्रित हो ताकि इसकी प्रभावशीलता सुनिश्चित हो सके और छात्र अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद एक प्राकृतिक फार्म को डिजाइन और स्थापित कर सकें।
उन्होंने हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक कृषि खुशहाल किसान योजना के बारे में भी जानकारी ली और किसानों और इस विधि के परिणामों के बारे में विस्तार से चर्चा की।
प्राकृतिक कृषि पद्धति किसानों के लिए न केवल उनकी आजीविका को बनाए रखने के मामले में वरदान साबित हो रही है, बल्कि बाजार संचालित रासायनिक आदानों पर किसानों की निर्भरता, पानी की बचत और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार कर रही है।
प्रोफेसर चंदेल ने तोमर को राज्य सरकार और विश्वविद्यालय द्वारा की जा रही विभिन्न गतिविधियों और प्रयोगों जिनसे प्राकृतिक खेती की अवधारणा को बढ़ावा और प्राकृतिक कृषि प्रथाओं पर वैज्ञानिक डेटा इकट्ठा हो रहा है के बारे में भी बताया।
उन्होंने तोमर को राज्य में प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के साथ बातचीत करने और उनके खेतों का दौरा करने के लिए हिमाचल प्रदेश आने का अनुरोध किया।