व्यवस्थाओं पर सवाल, 10 दिन में 28 यात्रियों की मौत
केदारनाथ व यमुनोत्री के दर्शन को पहुंचे सबसे अधिक 20 यात्रियों की हुई मौत
- मृतकों में 60 साल से अधिक उम्र के ज्यादा लोग, पीएमओ भी तलब कर चुका रिपोर्ट
- यात्रियों की मौत का कारण हार्ट अटैक, पर यात्रा मार्गों पर हृदय रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं
देहरादून । कोरोना महामारी के कारण दो साल बाद शुरू हुई चारधाम यात्रा को लेकर देश-विदेश के श्रद्धालुओं में खासा उत्साह है। गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ यात्रा बीती तीन मई से शुरू हुई थी।
अभी तक ढ़ाई-तीन लाख से अधिक श्रद्धालु गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ व बदरीनाथ धाम के दर्शन कर चुके हैं। लेकिन दुखद पहलू यह भी कि इन दस दिनों में चारधाम यात्रा के लिए आए 28 यात्रियों की मौत हो चुकी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार केदारनाथ व यमुनोत्री के दर्शन को आए सबसे अधिक 1-1 यात्रियों की मौत अब तक हो चुकी है। जबकि बदरीनाथ के दर्शन को पहुंचे पांच और गंगोत्री धाम के दर्शन करने को पहुंचे तीन यात्रियों की मौत हो चुकी है।
चारधाम यात्रा के दौरान हो रही यात्रियों की मौत के मामले को देखते हुए पीएमओ भी राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब कर चुका है। बताया जा रहा है कि अधिकांश यात्रियों की मौत हृदयगति रूकने के कारण हुई है।
क्योंकि हाई एल्टीट्यूड पर ऑक्सीजन की कमी होती है। वहीं ठंड के कारण भी हृदयगति प्रभावित होती है। इसके अलावा हाइपरटेंशन व पूर्व में कोरोना संक्रमित होना भी यात्रियों की मौत का संभावित कारण माना जा रहा है।
अभी तक जिन 28 यात्रियों की मौत हुई है उनमें 60 से अधिक उम्र के सर्वाधिक 13 लोग शामिल हैं। जबकि सात यात्री ऐसे थे जिनकी उम्र 51 से 60 साल के बीच, चार यात्रियों की उम्र 41 से 50 साल के बीच और तीन की उम्र 30 से 40 साल के बीच थी।
यानी उम्रदराज यात्रियों को चारधाम यात्रा भारी पड़ी है। यात्रा मार्गों पर व्यवस्थाओं का अभाव व समुचित स्वास्थ सुविधाओं की कमीं को लेकर भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। दस दिन के भीतर जिन यात्रियों की मौत हुई है उनमें से अधिकांश की मौत का कारण आकस्मिक हृदयगति (हार्ट अटैक) बताया जा रहा है।
हृदयगति रूकने के कारण इन यात्रियों को आसपास इलाज की सुविधा मिलती भी तो आखिर कहां से। क्योंकि यात्रा मार्गों पर स्थित स्थाई चिकित्सालयों व अस्थाई मेडिकल रिलीफ पोस्टों पर हृदय रोग विशेषज्ञ की तैनाती ही नहीं है।
बहरहाल, स्वास्थ्य महकमा का तर्क है कि अभी तक चारधाम यात्रा मार्ग पर जितने यात्रियों की मौत हुई है उनमें से किसी भी की मौत अस्पताल में नहीं हुई है। और ना ही मृत्यु से पूर्व किसी हताहत यात्री को इलाज के लिए अस्पताल लाया गया है।
132 डाक्टरों को किया गया है तैनात: डीजी हेल्थ
स्वास्थ्य महानिदेशक डा. शैलजा भट्ट का कहना है कि चारधाम यात्रा मार्गों पर स्थाई चिकित्सालयों के अलावा अस्थाई मेडिकल रिलीफ पोस्ट भी बनाए गए हैं। यात्रियों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए 132 डाक्टरों को इन अस्पतालों में तैनात किया गया है।
यात्रियों को किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य सूचना के लिए 14 हेल्पलाइन काम कर रही है। वहीं 108 आपातकालीन सेवा की एंबुलेंस व एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस भी यात्रा मार्गों पर तैनात की गई हैं।
एसडीआरएफ की टीम को भी मेडिकल टीम के साथ समन्वय करने को कहा गया है ताकि आपातकालीन परिस्थितियों में यात्रियों को त्वरित सहायता प्रदान की जा सके।