देहरादून। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी सवाल उठने लगे हैं। कारण ये है कि यात्रा शुरू होने से लेकर अब तक 23 लोगों की यात्रा के दौरान मौत हो चुकी है।
हालांकि इनमें 22 लोगों में ज्यादातर लोग हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज व अन्य बीमारियों से ग्रसित थे। इसके अलावा एक यात्री की खाई से गिरकर मौत हुई है। यहां ये भी बताना जरूरी है कि धामों में ज्यादा ऊंचाई होने के कारण लोगों में अक्सीजन की कमी पड़ जाती है।
ऐसे में कमजोर लोगों के लिए यात्रा जानलेवा साबित होती है। वहीं, केंद्र चारधाम यात्रा के दौरान हुई मौतों पर पीएमओ ने रिपोर्ट मांगी है। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज दुबई में हैं।
ऐसे में स्वास्थ्य महकमा मौतों के कारणों को लेकर रिपोर्ट तैयार करने में जुट गया है। वहीं नींद से जागे स्वास्थ्य विभाग ने आज बैठक की और व्यवस्थाओं की समीक्षा की। साथ ही यात्रा को लेकर एडवाइजरी भी जारी की गई है।
उत्तराखंड में गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीय के दिन तीन मई को खुले थे। इसके साथ ही चारधाम यात्रा का शुभारंभ हो गया था। छह मई को केदारनाथ धाम और आठ मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही यात्रा परवान में चढ़ने लगी। हजारों लोग हर दिन धामों की तरफ रुख कर रहे हैं।
इसमें दुखद बात ये है कि गंगोत्री और यमुनोत्री में अब तक 14, केदारनाथ में सात और बदरीनाथ धाम में एक श्रद्धालु की मौत हो चुकी है। इसके अलावा एक तीर्थ यात्री की केदारनाथ में खाई में गिरने से मौत हुई।
मंगलवार को भी केदारनाथ यात्रा पर आए दो यात्रियों की हुई मौत
केदारनाथ यात्रा पर आए दो यात्रियों की मंगलवार को मौत हो गई। अब तक केदारनाथ में सात यात्रियों की हृदय गति रुकने से मौत हुई, जबकि एक ही खाई में गिरने से मौत हुई है। कुल आठ की मौत हुई हैं।
पंजीकरण की क्षमता बढ़ाई गयी
चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं के भारी संख्या में आने के कारण सरकार ने प्रत्येक धाम में प्रतिदिन की पंजीकरण क्षमता एक-एक हजार बढ़ाने का निर्णय लिया है।
जारी की गई एडवाइजरी
चारधाम में 20 यात्रियों की मौत के बाद स्वास्थ्य महकमा भी अब नींद से जागा है। अब यात्रा के दौरान स्वास्थ्य संबंधी दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि उत्तराखंड में समस्त तीर्थस्थल उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित हैं। इनकी ऊंचाई समुद्र तल से 270 मीटर से भी अधिक है।
इन स्थानों पर श्रद्धालु अत्यधिक सर्दी, कम आद्रता, अत्यधिक अल्ट्रा वयलेट रेडिएशन, कम हवा का दबाव, कम अक्सीजन से प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में यात्रियों की सुरक्षा के लिए ये दिशा निर्देश जारी किए जा रहे हैं।
ये जारी किए गए हैं निर्देश
- स्वात्थ्य परीक्षण के उपरांत ही यात्रा के लिए प्रस्थान करें।
- पूर्व से बीमार व्यक्ति अपने चिकित्सक का परामर्श पर्चा एवं चिकित्सक का संपर्क नम्बर, एवं चिकित्सक द्वारा लिखी गई दवाईयां अपने साथ रखें।
- आति वृद्ध एव बीमार व्यक्तियों एवं पूर्व में कोविड से ग्रसित व्यक्तियों के लिए यात्रा पर ना जाना या कुछ समय के लिए स्थगित करना उचित होगा।
- तीर्थेस्थल पर पहुँचने से पूर्व मार्ग में एक दिन का विश्राम करना उचित होगा।
- गर्म एवं ऊनी साथ में अवश्य रखें।
- हदय रोग, श्वास रोग, मधुमेह, उच्य रक्तचाप से ग्रस्त रोगी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाते समय विशेष सावधानी बरतें।
- लक्षण जैसे सिर दर्द होना, चक्कर आना, घबराहट का होना, दिल की धड़कन तेज होना, उल्टी आना, हाथ- पांव व होठों का नीला पड़ना, थकान होना, सांस फूलना, खसी होना अथवा अन्य लक्षण होने पर तत्काल निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे एवं 14 हैल्पलाईन नम्बर पर संपर्क करें।
- धूम्रपान व अन्य मादक पदार्थों के सेवन से परहेज करें।
- सन स्क्रीन एसपीएफ 5 का उपयोग अपनी त्वचा को तेज धूप से बचाने के लिए करें।
- युवी किरणों से अपनी आंखों के बचाव के लिए सन ग्लासेस का उपयोग करें।
- यात्रा के दौरान पानी पीते रहें और भूखे पेट ना रहें।
- लम्बी पैदल यात्रा के दौरान बीच-बीच में विश्राम करें।
- ऊचाई वाले क्षेत्रों में व्यायाम से बचें ।
- किसी भी स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी के लिए 104एवं एम्बुलेंस के लिए 108 हैल्पलाईन नम्बर सम्पर्क करें।