सिडकुल में उच्च पदों में दूसरे राज्यों के लोगों को नियुक्त करने के बयान पर बबाल
नेता प्रतिपक्ष ने सीएम को घेरा, पूरे मामले को उत्तराखंड की अस्मिता और नेतृत्व क्षमता से जोड़ा
हल्द्वानी । सिडकुल से जुड़े उद्योगों में उच्च पदों पर उत्तराखंड से बाहर के लोगों को नियुक्ति दिए जाने के सीएम के आदेश की जमकर आलोचना होने लगी है।
नेता प्रतिपक्ष एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता यशपाल आर्य ने इसे उत्तराखंड की अस्मिता और नेतृत्वक्षमता के साथ जोडक़र भाजपा एवं राज्य सरकार को सीधे तौर पर कटघरें में खड़ा कर दिया है।
उन्होंने कहा कि वास्तविकता यही है कि उत्तराखंड के लोगों को नजरअंदाज करने के लिए औद्योगिक समूह कभी भी अखबरों में नियुक्तियों के विज्ञापन जारी नहीं करते हैं। नियुक्यिों का सारा खेल चोरी छिपे किया जाता है।
अब सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सिडकुल के उद्योगों को नियुक्तियों में उत्तराखंड के लोगों को नजरअदांज करने का प्रमाण पत्र भी दे दिया है। उन्होंने कहा कि इससे सत्तर फीसदी राज्य के लोगों को नौकरी देने का आदेश भी बेमानी होने जा रहा है।
शुक्रवार को यहां जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि आजादी से लेकर आज तक देश के प्रमुख राजनीतिक, प्रशासनिक, सैन्य, न्यायिक सेवाओं और सार्वजनिक उद्योगों के उच्च पदों पर उत्तराखंड के लोगों ने न केवल देश में बल्कि दुनिया में भी लोहा मनवाया है।
देश भर के उद्योगों में उच्च पदों पर उत्तराखंडी नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया है कि फिर अपने राज्य में उद्योगों को उच्च पदों के लिए योग्य लोग क्यों नहीं मिल रहे हैं उन्होंने कहा कि राज्य के राजनीतिक भाग्य विधाता उद्योगपतियों के इस मासूम उत्तर को कैसे पचा रहे हैं ये बात पच नही रही है।
आखिर कौन उत्तराखंड और यहा के युवाओं के हितों की बात करेगा सभी उद्योग खुले विज्ञापन निकालें फिर पता चलेगा कि कितने उत्तराखंड के योग्य युवाओं के आवेदन आते हैं। उन्होंने यह भी सवाल किया है कि ऐसी कौन सी उच्च तकनीक है, जो यहां के लोगों का पता नहीं है।
उन्होंने कहा कि उद्योगपतियों की बातों में आकर सीएम ने उच्च पदों पर राज्य से बाहर के लोगों की नियुक्ति का आदेश दने का मतलब साफ है कि सीएम ने स्वीकार कर लिया है कि उत्तराखंड में शिक्षा का स्तर काफी गिरा हुआ है।
उन्होंने कहा कि इस समय उत्तराखंड का शिक्षित बेरोजगार घर बैठा है और सीएम कहते हैं कि उच्च पदों के लिए उम्मीदवार नही मिल रहे। ये उत्तराखंड के लोगों के हकों पर सीधा डाका है।
ये सब अपने राज्य के लोगों को नजरअंदाज कर दूसरे राज्यों के लोगों को खुश करने की पहल है। यह एक बड़ी साजिश का भी हिस्सा हो सकता है।
उन्होंने कहा कि वास्तविका यही है कि सिडकुल में अभी तक 70 प्रतिशत नौकरियां उत्तराखंड के युवाओं को नहीं मिल रही हैं। उद्योगपतियों ने कई बहाने निकाले हैं। साक्षात्कार लेने के बाद भी हजारों तकनीकी पेशेवरों को नौकरी में नहीं रखा गया है।
उन्होंने कहा कि राज्य के युवाओं के हितों को सुरक्षित करने के लिए उद्योगों में सत्तर फीसदी लोगों को स्थानीय स्तर पर नियुक्ति देने के लिए कानून बनाने की जरुरत है। सरकार अध्यादेश भी ला सकती है।
इसके विपरीत सीएम ने बेरोजगारों की पीड़ा को नजरअंदाज कर उद्योगपतियों का साथ देना शुरू कर दिया है। इसके परिणाम बहुत ही घातक होंगे। सीएम को अभी भी अपने इस बयान को वापस लेना चाहिए।