नयी दिल्ली। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक की उच्चतम न्यायालय ने जमानत याचिका खारिज कर दी है।
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने इस याचिका में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए मलिक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से कहा कि अंतरिम जमानत की मांग वाली यह याचिका अभी शुरुआती चरण में है।
वह इस स्तर पर हस्तक्षेप नहीं कर सकती। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह सक्षम अदालत के समक्ष गुहार लगा सकते हैं।
मलिक को प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में 23 फरवरी को गिरफ्तार किया था और तभी से वह न्यायिक हिरासत में हैं। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी।
सुनवाई के दौरान सिब्बल ने दलील दी कि मलिक को 1999 में हुई किसी घटना के लिए 2022 में गिरफ्तार किया गया है। राकांपा नेता मलिक ने बांबे उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर अंतरिम राहत की गुहार लगाई थी, लेकिन वहां उन्हें निराशा हाथ लगी थी।
उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की गई अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने 15 मार्च को उनकी याचिका अस्वीकार कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
मलिक के खिलाफ धनशोधन निवारण अधिनियम (एमपीएलए) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। ईडी ने महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मलिक पर 1999-2005 के दौरान अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की दिवंगत बहन हसीना पारकर के साथ भूमि सौदे के मद्देनजर आतंकी फड़िंग में शामिल होने का आरोप लगाया है।
इस मामले में निदेशालय ने उनके खिलाफ मुंबई की विशेष अदालत में करीब 5000 पन्नों का आरोप पत्र दायर किया था।