इटावा। चंबल घाटी की जीवन रेखा कही जाने वाली क्वारी नदी में पानी आने से लोगों के चेहरों पर मुस्कान आ गयी है। इटावा जिले में पांच नदियों में से एक अहम मानी जाने वाली क्वारी नदी करीब 15 सालों से गर्मी के मौसम में हमेशा ही सूखती रही है लेकिन इस बार नदी में आए पानी से स्थानीय चरवाहे और इलाकाई लोग बेहद खुश नजर आ रहे हैं क्योंकि अब उनको पानी के लिए जगह जगह भटकना नहीं पड़ेगा।
इतना ही नहीं राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी में पाए जाने वाले वन्य जीवो को भी क्वारी नदी का पानी आसानी से मिल सकेगा। इटावा को पांच नदियों के संगम वाले जिले के तौर पर जाना जाता है । यमुना,चंबल,सिंधु,पहुज और क्वारी नदी पचनदा में मिलती है उसके बाद यमुना बन कर प्रयागराज में ही समाहित होती है।
यमुना के किनारे सैकड़ों की तादात में गांव बसे हुए हैं, इसके साथ ही हजारों लोग कुंवारी नदी के किनारे अपनी फसल आदि की सिंचाई भी इसी नदी के पानी से करते रहे है।
पिछले दिनों से सूखे जलस्रोतों ने इस नदी को भीषण गर्मी में खामोश कर दिया था लेकिन इस दफा नदी की किस्मत पिछले साल हुई भारी बरसात ने चमका दी है तभी तो क्वारी नदी में पानी ही पानी दिखाई दे रहा है।
डेढ दशक से अक्टूबर-नवंबर माह में सूखने वाली क्वारी नदी इस बार जलीय जीवों से लेकर पशु-पक्षियों पर मेहरबान है । क्वारी की जलधारा में इस बार अप्रैल माह में भी तेज प्रवाह है। जल प्रवाह न सिर्फ आम जन के लिए राहतकारी है, बल्कि सेंचुरी से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के आम जनमानस व पशु-पक्षी भी प्यास बुझा रहे हैं।
सेंचुरी क्षेत्र में प्रवाहित क्वारी नदी अक्टूबर-नवंबर माह में सूख जाती थी लेकिन इस वर्ष अधिक बारिश के चलते अप्रैल माह में भी क्वारी नदी की जलधारा टूटी नहीं है जिससे हजारों जलीय जीवों सहित जंगली क्वारी किनारे बसे गांव उखरैला, बिरौना बाग, बझाई कोटरा, सकेरी, गुरभेली आदि दर्जनों गांव की ग्रामीण नदी के पानी को नहाने व कपड़ा साफ करने में भी इस्तेमाल कर रहे हैं। यही नहीं करीब दो दर्जन से अधिक गांव के पशुपालक अपने पालतू जानवरों के साथ खुद की भी क्वारी नदी से प्यास बुझा रहे हैं।