इटावा। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा और राष्ट्रीय आरएसएस नफरत फैलाने के एजेंडे का प्रसार कर रही है, उससे लोकतंत्र, एकता तथा सद्भाव को गम्भीर क्षति पहुंच रही है।
यादव ने कहा कि गरीब जनता तथा विपक्षी दलों के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं पर भाजपा सरकार का उत्पीड़न बढ़ता ही जा रहा है। इस सबके पीछे उसका इरादा बुनियादी मुद्दों से ध्यान भटकाना और असहमति की आवाज को दबाना है।
उन्होने कहा कि भाजपा और आरएसएस पहले सबको धर्म के आधार पर भड़काते हैं। बहुसंख्यक समाज की भावनाओं के साथ खेलते है। बड़ी मुश्किल से भारत एक लोकतांत्रिक और पंथनिरपेक्ष, समाजवादी देश बन पाया । संविधान में सबको एक समान नागरिक अधिकार दिए गए।
भाजपा इस सामाजिक तानाबाना को तोड़ने में लगी है। हिन्दू-मुस्लिम की गंगा-जमुनी तहजीब को भाजपा खण्डित करने का प्रयास कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अपनी एकाधिकारी सत्ता के लिए लालायित भाजपा सरकार छलबल और सत्ता की ताकत से विपक्ष की विरोध और असहमति की आवाजों को भी दबाना चाहती है।
मीडिया को अपने साथ करने के लिए चौथे स्तम्भ पर भी दबाव बनाया जाता है । भाजपाई आईटी सेल अफवाहें फैलाकर नफरत की चिंगारी को हवा देने का काम करती है।
यादव ने कहा कि अयोध्या के बीकापुर में पत्रकार पर लाठी डंडों से हमला कर उसे गम्भीर रूप से घायल कर दिया गया। मिर्जापुर में मिड-डे-मील का सच दिखाने पर जेल में डाल दिया गया। लखीमपुर खीरी के बहुचर्चित काण्ड में भी एक पत्रकार की मौत हुई थी ।
बलिया में पत्रकार की हाईस्कूल इन्टरबोर्ड की परीक्षा का एक प्रश्नपत्र लीक होने की खबर देने पर गिरफ्तारी की गई । चंदौली में एक पत्रकार को धरने पर बैठना पड़ा। सपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा राज का यही चरित्र है कि वह अपने विराधी को फूटी आंखो नहीं देखना चाहती है।
भाजपा नेतृत्व का न तो लोकतंत्र की मान्यताओं के प्रति कोई सम्मान भाव है और नहीं उनमें संविधान के प्रति आस्था है। भाजपा आरएसएस का ही एजेण्डा चलाना अपना धर्म समझती है।