लोहाघाट । चम्पावत जिले के लोहाघाट जैसे महत्वपूर्ण नगर में तीन दशक बाद भी अभी तक फायर स्टेशन के स्थाई भवनों का निर्माण नहीं किया गया है। वर्ष 1990 के दौरान लोहाघाट में किराये में चल रहे थाने के भवन में आग लगने के बाद यहां फायर स्टेशन स्थापित करने की तात्कालिक आवश्यकता महसूस की गई थी।
तब तक यहां से 62 किमी दूर पिथौरागढ़ से ही यहां फायर सर्विस मिला करती थी। थाने में आग लगने के बाद लोहाघाट में स्थाई भवन निर्माण हेतु पशु अस्पताल के पीछे 29 नाली भूमि का चयन किया गया। इस भूमि में से 14 नाली 7 भूमि फायर स्टेशन 11 नाली थाना तथा 4 नाली पुलिस रेडियो स्टेशन के लिए दी गई।
थाने में आग लगने के बाद प्रस्तावित उस भूमि में थाने के टिनशेड, बैरख प्रशासनिक, आवासीय भवन बना दिए गए जो फायर स्टेशन के लिए प्रस्तावित की गई थी। भूमि का सीमांकन ना होने के कारण यहां फायर स्टेशन द्वारा छोटा सा कार्यालय व टिनशेड थाने की जमीन में बना दिया गया बाद में पुलिस विभाग द्वारा विश्व बैंक की योजना के तहत फायर स्टेशन के निर्माण के लिए 3 करोड़ रुपए की स्वीकृति मिली बताई गई लेकिन भूमि का सीमांकन ना होने से यह धनराशि लौटा दी गई।
वर्तमान में दूसरों की जानमाल की रक्षा करने वाले फायर कर्मी थाने के उन टिनशैड व बैरखों में दिन काट रहे हैं जहां उन्हें थोड़ी सी बरसात में प्लास्टिक ओढ़ कर सोना पड़ता है। आवासीय व अन्य सुविधा न होने के कारण यह कर्मी हमेशा तनाव में रहते हैं। थाना एवं फायर स्टेशन के लिए नगर के हृदय में ऐसी महत्वपूर्ण भूमि चयनित की गई है जिसकी कीमत कई करोड़ में है।
कुछ समय पूर्व फायर स्टेशन की पूरी भूमि को थाने में हस्तांतरित कर फायर स्टेशन के लिए अन्यत्र भूमि तलाशने के प्रयास किए गए लेकिन जन विरोध के कारण यह प्रस्ताव खटाई में पड़ गया।
क्षेत्रीय विधायक खुशाल सिंह अधिकारी एवं नगर पंचायत के चेयरमैन गोविन्द वर्मा का कहना है कि पूर्व में प्रस्तावित भूमि में ही फायर स्टेशन को विकसित किया जाये। जिससे लोगों को तत्काल दमकल की सुविधा मिल सके।