सिक्स लेन एक्सप्रेस-वे की राह में पर्यावरण बना रोड़ा

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे के निर्माण में आशारोड़ी क्षेत्र में काटे जाने हैं करीब 19 हजार पेड़

  • पर्यावरण प्रेमी व तमाम सामाजिक संगठन हुए मुखर, आज करेंगे विरोध प्रदर्शन
    बोले महज कुछ मिनट का समय बचाने के लिए नहीं काटे जाने चाहिए हजारों पेड़

देहरादून । दिल्ली-देहरादून सिक्स लेन एक्सप्रेस-वे के लिए आशारोड़ी में साल समेत अन्य प्रजातियों के हजारों पेड़ काटे जाने के मामले को लेकर पर्यावरण प्रेमी व तमाम सामाजिक संगठन मुखर होने लगे हैं।

इसको लेकर पर्यावरण प्रेमी व संगठन चरणबद्ध आंदोलन करने की रणनीति बना रहे हैं। इस क्रम में सिटीजन फॉर ग्रीन दून, संयुक्त नागरिक संगठन, उत्तराखंड महिला मंच, आंदोलनकारी मंच से जुड़े लोगों व पर्यावरणविद ने शनिवार को प्रेस क्लब में संयुक्त पत्रकार वार्ता की।

उन्होंने आम लोगों से भी इस मुहिम में शामिल होने का आह्वान किया।
पर्यावरणविद् रवि चोपड़ा ने कहा कि विकास होना चाहिए पर पर्यावरण से खिलवाड़ नहीं। कहा कि दिल्ली से देहरादून तक आवाजाही के लिए महज कुछ मिनट का समय बचाने के लिए सौ साल पुराने सैकड़ों साल के पेड़ों की बलि नहीं दी जानी चाहिए।

कहा कि दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे का अंतिम खंड यूपी के गणेशपुर से लेकर उत्तराखंड के आशारोड़ी तक है। शिवालिक रेंज वाले इस 19 किमी लंबे क्षेत्र में साल का घना जंगल है। जो कि जैव विविधता की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है।

लेकिन एक्सप्रेस-वे बनाने के लिए इस क्षेत्र में बहुमूल्य प्रजातियों के 11 हजार पेड़ काटे जाने हैं। कहा कि आशारोड़ी से मोहंड तक साल का जो जंगल है वह कई मायनों में महत्वपूर्ण है। पहला ये प्राकृतिक रूप से उगे हुए पेड़ हैं।
दूसरा यहां राजाजी पार्क वाले इलाके में हाथी, बाघ, कोबरा और एक विशेष प्रकार का पक्षी पाया जाता है, जो कि इसके आगे पूरे एशिया में कहीं देखने को नहीं मिलेगा। ऐसे में इनके आवास उजाड$ना पर्यावरण के साथ ही जैव विविधता के लिए बड़ा खतरा है।

सिटीजन फॉर ग्रीन दून के सचिव हिमांशु अरोड़ा ने कहा कि महज कुछ मिनट बचाने के लिए हजारों पेड़ नहीं काटे जाने चाहिए। क्योंकि यह जंगल भूजल रिचार्ज का भी बड़ा स्रोत है। कहा कि पर्यावरण बचाने के लिए इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण बंद किया जाना चाहिए।

वैसे भी दिल्ली व देहरादून के बीच यात्रा करने वाले अधिकांश लोग नवनिर्मित हरिद्वार एक्सप्रेस-वे का उपयोग करते हैं। ऐसे में आशारोड़ी क्षेत्र में हजारों पेड़ों की बलि देना औचित्यपूर्ण नहीं है। कहा कि इस मामले को लेकर आज रविवार को तमाम सामाजिक संगठन व पर्यावरण प्रेमी आशारोड़ी चैक पोस्ट के पास शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करेंगे।

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