नयी दिल्ली ।राज्यसभा में कांग्रेस के पी. चिदंबरम ने कहा कि सरकार दंड प्रक्रिया कानून में बदलाव कर निजता के हनन का प्रयास कर रही है जिसके दूरगामी परिणाम घातक होंगे।
चिदंबरम ने सदन में पेश दंड प्रक्रिया (शनाख्त) विधेयक 2022 पर चर्चा शुरु करते हुए कहा कि यह विधयेक संविधान का उल्लंघन है और निजता के अधिकार पर उच्चतम न्यायालय के दो ऐतिहासिक निर्णय के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि विधेयक लाने से पहले सरकार ने परिस्थितियों और इस संबंध में दिये गये उच्चतम न्यायालय के फैसलों का अध्ययन नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि विधेयक में संबंधित व्यक्ति के जांच के नमूने पुलिस अधिकारी या जेल अधिकारी लेगा और इसके लिए मजिस्ट्रेट आदेश देगा। लेकिन उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसलों में कहा है कि नारको टेस्ट, पोलीग्राफ टेस्ट और बीप टेस्ट संबंधित व्यक्ति की इच्छा से होगा। इस आधार पर यह विधयेक उच्चतम न्यायालय में खारिज कर दिया जाएगा।
श्री चिदंबरम ने कहा कि विधेयक निजता का हनन करता है और असंवैधानिक है। यह एक छलावा है जिसके दूरगामी परिणाम होंगे। इस विधेयक को उच्चतम न्यायालय की परख से गुजरना होगा। इसलिए इसे विस्तृत जांच के लिए संसद की समितियों के पास भेजा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कानून में सुधार के लिए 102 साल तक इंतजार किया जा सकता है तो कुछ दिन और प्रतीक्षा कर लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विदेशों में किये गये अध्ययनों के अनुसार अंगुलियों के निशान से जांच छह प्रतिशत मामलों में विफल साबित हुई है। इसी तरह से आईरिस और डीएनए की जांच परिणाम भी शत प्रतिशत नहीं रहे हैं।