नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार की अनुमति के बिना देहरादून के सहस्रधारा में जल मग्न भूमि को बंजर घोषित कर उस पर निर्माण के मामले में राज्य सरकार के साथ ही देहरादून-मंसूरी विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है।
अदालत ने देहरादून निवासी अजय नारायण शर्मा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के साथ ही देहरादून-मंसूरी विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि देहरादून के सहस्रधारा में खसरा नंबर 277 की जल मग्न भूमि को बंजर भूमि में बदल कर भारी भरकम निर्माण किया जा रहा है। इस कार्य के लिये केन्द्र सरकार की अनुमति भी नहीं ली गयी है।
केन्द्र सरकार की ओर से 1989 में जारी अधिसूचना में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि भूमि का स्वरूप बदलने के लिये केन्द्र सरकार की अनुमति लिया जाना जरूरी है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि इस भूमि पर आईटी पार्क का निर्माण किया जा रहा है। अदालत ने मामले को सुनने के बाद सभी पक्षकारों से जवाब पेश करने को कहा है।