रास चुनाव : असम विस एक बार फिर बनेगा कांग्रेस विधायकों की टूट का गवाह

दोनों सीटों पर भाजपा गठबंधन की जीत लग रही सुनिश्चित

गुवाहाटी । इन दिनों असम में राज्यसभा की दो सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर जोड़-तोड़ जारी है। चुनाव से पूर्व सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की ओर से विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त को लेकर विपक्षी सदस्यों में अंदरखाने भय है। भय वाजिब भी है।

कारण कि देश व राज्यों में पिछले कुछ सालों में सत्ताधारी पाॢटयों के खेमें में जाने का जो सिलसिला चल रहा है, वह भी विशेषकर भाजपा में जाने का इससे विपक्षी खेमें में डर स्वाभविक है। दरअसल में मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा कांग्रेस के निलंबित विधायक शशिकांत दास से मुलाकात कर यह दावा किया कि वह आगामी राज्यसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करेंगे, इसको लेकर राजनीतिक सरगर्मी  तेज हो गई।

इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने कांग्रेस के सभी विधायकों से सत्तारूढ़ गठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने की अपील भी की है। शर्मा ने कहा है कि हमें एआईयूडीएफ के मत नहीं चाहिए,लेकिन मैं सभी कांग्रेस विधायकों से अपील करता हूं कि वे सत्तारूढ़ गठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करें,क्योंकि वे लोग राज्य की जनता की आवाज राज्यसभा में उठा सकते हैं।

फिलहाल राज्यसभा चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री के बयानों से राज्य की राजनीति गरमा गई है। तब से विपक्ष बौखलाया हुआ है। वहीं अगर संख्या बल को देखा जाए तो सत्तारूढ़ गठबंधन का एक उम्मीदवार आसानी से निर्वाचित होने की स्थिति में है, लेकिन विपक्ष अगर अपने एकमात्र उम्मीदवार के लिए एकजुट होकर वोट देता है तो उसे अपने उम्मीदवार को जिताने में परेशानी नहीं होगी,परंतु पार्टी के उम्मीदवार और असम प्रदेश कांग्रेस समिति के पूर्व अध्यक्ष रिपुन बोरा भी अपनी जीत के लिए अप्रत्यक्ष रुप से आश्वस्त नहीं हैं।

जानकार बताते हैं कि इस बार कांग्रेस को समर्थन करने वाली अखिल भारतीय  संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (एआईयूडीएफ), माकपा और रायजर दल के विधायक फिलहाल टूटने की स्थिति में नहीं है, परंतु कांग्रेस को भय अपने विधायकों के टूटने का है। मजे की बात है कि इन दिनों देशभर में अपने मुस्लिम विरोधी बयान से सुर्खियां बटोर रहे मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा कांग्रेस के कई मुस्लिम विधायकों को अपने पक्ष में करने में कामयाब हो गए हैं।

कहा जा रहा है कि कांग्रेस विधायक सिद्दिक अहमद, सोभान सरकार और अफताबुद्दीन मोल्ला ऐन मौके पर वोटिंग से अलग रहकर भाजपा समर्थित यूपीपीएल के उम्मीदवार को जिताने में अप्रत्यक्ष रूप से मदद कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि असम की सात राज्यसभा सीटों में से भाजपा के पास फिलहाल तीन, जबकि कांग्रेस के पास दो सीटें हैं। उच्च सदन में भाजपा की सहयोगी असम गण परिषद (एजीपी) का एक सदस्य है, जबकि एक सीट निर्दलीय के पास है।

जिन दो सीटों के लिए चुनाव होने हैं, उन पर फिलहाल कांग्रेस के रिपुन बोरा और रानी नरह काबिज हैं। बोरा इस बार विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा चुनाव की दौड़ में शामिल हैं। भाजपा ने राज्यसभा की एक सीट के लिए पबित्र मार्गेरिटा, जबकि दूसरी सीट के लिए यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) के कार्यकारी अध्यक्ष रंगवारा नाजार्री को उम्मीदवार बनाया है।

इस मामले को लेकर असम विधानसभा में भी हंगामा देखा जा रहा है। हिमंत के बयान पर विपक्षी पार्टी के लोग सदन में मामले को बड़े जोर शोर से उठाने में लगे हैं। पिछले दिनों सदन में कांग्रेस सदस्य एवं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवव्रत सैकिया ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हिमंत विश्वशर्मा और सत्तारूढ़ भाजपा असम की दोनों राज्यसभा सीटें जीतने के लिए कथित तौर पर विधायकों को ‘खरीदने की कोशिश करके ‘अलोकतांत्रिक गतिविधियोंझ् में लिप्त है।

सैकिया ने कहा है कि यह विपक्ष और लोकतंत्र को कमजोर करने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि मुख्यमंत्री ने कथित तौर पर कहा है कि सभी कांग्रेस और विपक्षी विधायक भाजपा में शामिल होने को तैयार है। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने इसका कड़ा विरोध किया, जिसके चलते सदन में हंगामे की स्थिति बन गई

विपक्षी नेताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी और सरकार विरोधी नारों वाली तख्तियां लहराईं। कांग्रेस, एआईयूडीएफ, माकपा और राइजर दल जैसी विपक्षी पार्टियों के सदस्य आसन के समक्ष पहुंच कर सरकार के खिलाफ नारे लगाने लगे। जवाब में भाजपा सदस्यों ने भी नारे लगाए।

कांग्रेस विधायक दल के नेता देवव्रत सैकिया ने विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री ने ‘खरीद-फरोख्त शुरू की है और राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नष्ट करने जा रहे हैं। सैकिया ने कहा कि मुख्यमंत्री ने यह स्वीकार किया कि भाजपा ने कांग्रेस के विधायकों से संपर्क किया,लेकिन उन्होंने कहा कि यह खरीद-फरोख्त नहीं है।

उन्होंने कहा कि मैं उनसे भी बात करूंगा, पार्टी के सदस्य उनके घर गामोछा और तामुल-पान लेकर जाएंगे और उनसे सत्तारूढ़ गठबंधन के उम्मीदवारों को वोट देने का अनुरोध करेंगे। वहीं विस अध्यक्ष विश्वजीत दैमारी ने कहा कि आप (विपक्षी सदस्य) कृृपया बैठकर इस मुद्दे पर चर्चा करें। तभी, हम इसे हल कर सकते हैं। सदन में इस मुद्दे पर चर्चा करने में कोई समस्या नहीं है। राज्यसभा चुनाव नियम के अनुसार होंगे।

प्रश्नकाल जारी रहने के दौरान आसन के समक्ष लगातार 35 मिनट तक नारेबाजी करने के बाद चारों विपक्षी दलों के सदस्यों ने विधानसभा से वॉकआउट कर दिया। फिलहाल असम में राज्यसभा की दो सीटों के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सत्तारूढ़ गठबंधन से दो तथा संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर कांग्रेस के एक सदस्य,कुल मिला कर तीन लोग मैदान में हैं। इन सीटों के लिए मतदान 31मार्च को होगा।

वहीं, 126 सदस्यीय असम विधानसभा में भाजपा के 63, जबकि उसकी सहयोगी एजीपी और यूपीपीएल के क्रमश: नौ व सात सदस्य हैं। इसी तरह, विपक्षी खेमे में कांग्रेस के पास 27, आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के पास 15, बोड़ोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के पास तीन और माकपा के पास एक सीट है। असम विधानसभा में एक निर्दलीय विधायक भी है।

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