क्या-क्या गुल खिला सकते हैं नतीजे

मतगणना बाद सत्ता पाने के लिए सीटों की गणित तय करेगी की सूबे की सियासत क्या मोड़ लेगी

विस चुनाव मतगणना के बाद 70 सीटों वाली विधानसभा में कई तरह की संभावनाएं

देहरादून। सियासत संभावनाओं का खेल है और मतगणना के बाद सत्ता पाने के लिए सीटों की गणित का यानी 36 सीटों के जादुई आंकड़े को छूने का। यही गणित तय करेगी की सूबे की सियासत क्या मोड़ लेगी। आज यानी बृहस्पतिवार को उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आने वाले हैं।

इस बार माना जा रहा है कि प्रदेश में 2017 जैसे मोदी लहर वाले हालात नहीं रहे हैं, कांग्रेस भी चुनाव के मैदान में जमकर लड़ती दिखाई दी है। ऐसे में चुनाव में जैसे हालात रहे उसमें सियासी गुणा-गणित के जानकार नतीजों को लेकर और उसके बाद सियासत के रुख को लेकर तमाम तरह के कयास लगा रहे हैं। मतगणना के बाद 70 सीटों वाली विधानसभा में कई तरह की संभावनाएं सामने आ सकती हैं जो सूबे की सियासत की दिशा तय करेंगी।

किसी एक दल को पूर्ण बहुमत मिला तो

पहली संभावना अगर भाजपा और कांग्रेस के दावों के मुताबिक किसी एक दल को पूर्ण बहुमत या उससे ज्यादा सीटें मिल गईं तो उसकी सरकार बनना तय है ऐसे में सारे सवाल ही खत्म हो जाएंगे। बस सवाल यह बचा रहेगा कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा और किस-किस को कैबिनेट में जगह मिलेगी। क्योंकि दोनो दलों में सीएम की कुर्सी के दावेदार अपनी-अपनी ओर से कोशिश करेंगे।

हालांकि दोनो राष्ट्रीय दलों में सीएम कौन बनेगा इसका फैसला दिल्ली से ही होता है। बता दें भाजपा जहां 60 से ज्यादा सीटों का दावा कर रही है वहीं कांग्रेस 45 तक सीटें पा लेने का दावा कर रही है। ऐसे में तय है कि अगर बसपा, निर्दलीय की भी कुछ सीटें आती हैं तो वे सत्ता के खेल में करीब-करीब अप्रासंगिक हो जाएंगे या फिर उनमें से कुछ सत्ता पक्ष के साथ या विपक्ष के साथ खड़े दिखेंगे।

अगर किसी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो

भाजपा या कांग्रेस दोनो अगर 36 के जादुई आंकड़े को नहीं छू पाए और सूबे में चार से पांच बसपा और निर्दलीय विधायक जीत गए तो दोनो दल चाहेंगे कि वे उनके पाले में आ जाएं। ऐसे में संभवत: राज्यपाल लोकतांत्रिक परंपरा का निर्वाह करते हुए विधानसभा के सबसे बड़े दल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करे। इस स्थिति में जो भी दल सबसे ज्यादा विधायक वाला होगा उससे भाजपा-कांग्रेस से इतर जीते विधायकों को कैबिनेट मंत्री बनाने जैसे प्रस्ताव मिलना तय है।

सियासी हलकों में वैसे माना जा रहा है कि अगर कांग्रेस बहुमत से पीछे रहती है और भाजपा उससे कुछ सीटें ही पीछे रहती है तो वह सरकार बनाने का हर संभव प्रयास करेगी। भाजपा की केंद्र में सत्ता है वह साधन संपन्न है। ऐसे में वह कांग्रेस के विधायकों से अपने पक्ष में वोट करने या उनसे इस्तीफा भी दिला सकती है। वैसे भी कांग्रेस इसी आशंका से डरी है और मतगणना के बाद कांग्रेस के जीते विधायकों को राजस्थान भेजने की बातें सामने आ रही है।

यह भी माना जा रहा है कि किसी को बहुमत न मिलने की दशा में दोनो दलों में ऐसे नेताओं को सूबे की कमान मिलने का मौका मिल सकता है जिनके दूसरे दलों में या फिर जीत की संभावना वाले बसपा या निर्दलीयों से अच्छे संबंध हैं या वे उन्हें अपने पाले में कर सकते हैं।

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