सहारनपुर। शिवालिक वन प्रभाग में राजा जी टाइगर रिजर्व पार्क के बफर जोन के प्रस्ताव को डेढ़ वर्ष बीतने के बाद भी सरकार की मंजूर नहीं मिल सकी है। वन संरक्षक वीरेंद्र कुमार जैन के कार्यकाल के दौरान तत्कालीन आयुक्त सहारनपुर मंडल संजय कुमार के द्वारा शासन को प्रस्ताव भेजा गया था।
इसके अनुसार शिवालिक वन प्रभाग में अनाधिकृत रूप से जो वन गुर्जर वगैरहा रह रहे हैं उनको बेदखल करके इस पूरे क्षेत्र को वन्य जीवों के लिए सुरक्षित क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाना था। प्रभारी जिला वन अधिकारी शिवालिक वन प्रभाग श्वेता सैन ने बताया कि इन दिनों वन्य जीवों की गणना का काम चल रहा है।
33 हजार 229 हेक्टेयर के शिवालिक वन प्रभाग में 7303 वन्य जीव रह रहे हैं। इनमें 45 तेंदुए, चार बारांसिंघहा, 22 हाथी, 121 सियार, 356 सांभर, 1869 बंदर, 1164 लंगूर आदि वन्य जीवों का आश्रय स्थल है। डेढ़ वर्ष पूर्व वन विभाग के अफसरों और तत्कालीन कमिश्नर वर्तमान में वित्त सचिव संजय कुमार ने वन्य जीवों को उनके रहने और विचरण करने को सुरक्षा प्रदान करने की खातिर बफर जोन बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा था।
राजा जी टाइगर रिजर्व पार्क, राजा नेशनल पार्क का हिस्सा है। इस पूरे क्षेत्र में टाइगर और तेंदुए रहते हैं और स्थान छोटा पड़ने के कारण वन्य जीव जान-अनजाने आबादियों में घुस जाते हैं। जिससे उनके जीवन को खतरा पैदा हो जाता है और कई बार वन्य जीव ग्रामीणों को अपना शिकार भी बना लेते हैं।
दो रोज पहले नानौता क्षेत्र में एक मादा हिरण गांव बकडौली कमालपुर की बस्ती में पहुंचकर एक मकान में घुस गई। क्षेत्रीय वनाधिकारी विपिन सहगल ने पशु चिकित्सक डा. प्रियंका शर्मा की मदद से इस घायल हिरण का उपचार कराया। इसी तरह आए दिन वन्य जीवों के राष्ट्रीय राजमार्गों पर अचानक चले आने से वाहन से दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं और कई बार वन्य जीवों को अपनी जान भी गंवानी पड़ जाती है।
पिछले साल शाकुम्बरी वन क्षेत्र में अब्बदुलापुर के जंगल में उतरे गुलदार ने वन विभाग के डिप्टी रेंजर पूर्णानंद कुकरेती को हमला कर घायल कर दिया था और पिछली अप्रैल में बड़कलां वन क्षेत्र में सांभर को कुत्तो ने हमलाकर जान से मार दिया था। इन्हीं सब कारणों से टाइगर जैसे वन्य जीवों को सुरक्षित वन क्षेत्र उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शिवालिक वन प्रभाग को राजा जी टाइगर रिजर्व पार्क का बफर जोन बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा था। वन्य जीवों के संरक्षण के लिए इस प्रस्ताव को स्वीकार जरूरी कदम उठाया जाना आवश्यक है।