गौचर। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन को भले ही आने वाले दिनों में विकास की धुरी माना जा रहा हो लेकिन जिस प्रकार से टनलों के निर्माण में अंधाधुंध विस्फोटों का प्रयोग किया जा रहा है उससे परियोजना लोगों के लिए नासूर भी साबित होने लगी है। इसका जीता-जागता उदाहरण गत दिवस सारी गांव में विना बरसात के हुआ भूस्खलन देखने को मिला।
सरकार द्वारा ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन के लिए जमीन अधिग्रहण करने के लिए कई दौर की बैठकें आयोजित की गई। तब काश्तकारों ने तमाम जनहित के मामलों को उठाने के साथ साथ भविष्य की आशंकाओं को भी सामने रखा था। तब रेलवे अधिकारियों समेत शासन प्रशासन के नुमाइंदों ने बड़ी चतुराई से प्रभावितों को मना डाला।
बैठकों में स्थानीय लोगों को रोजगार देने के साथ साथ टनलों के निर्माण में विस्फोटों का प्रयोग न करने की बात भी प्रमुखता से उठाई गई थी लेकिन अब रेललाइन के टनलों का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर शुरू किया गया तो जहां प्रभावितों को रोजगार देने में आनाकानी की जा रही वहीं अंधाधुंध विस्फोटकों का प्रयोग कर लोगों को परेशानी में डालने का काम किया जा है।
रात दिन हो रहे विस्फोटों से जहां टनलों के आस पास की जमीन पूरी तरह हिल गई है वहीं लोगों की मकानों में दरारें पड़ गई हैं। जिन लोगों के मकानों में दरारें पड़ गई हैं वे मुआवजे के लिए गिड़ -गिड़ा रहे हैं लेकिन कोई सुनने के लिए तैयार नहीं है। जमीन इतनी हिल गई है कि आने वाले दिनों में पहाड़ो के दरकने की आशंका बनी है।
इसका जीता-जागता उदाहरण गत दिवस गौचर के समीप अलकनंदा नदी तट से सटे हुए सारी गांव के समीप विना बरसात के हुए भूस्खलन से लोगों को काफी नुकसान पहुंचा है। यह स्थान रानौ व आईटीबीपी के समीप बनाए जा रहे टनलों की चंद दूरी पर है। आशंका व्यक्त की जा रही है कि विस्फोटकों के कारण ही यह भूस्खलन हुआ हो।
बहरहाल यह तो भू सर्वेक्षण विभाग की जांच के बाद ही पता चलेगा लेकिन लोगों की आशंकाएं इसी ओर इशारा कर रही हैं। ताजुब्ब तो इस बात का है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा विस्फोटों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने के बाद भी रेलवे द्वारा कैसे विस्फोटों का प्रयोग किया जा रहा है यह चिंता का सबब बन गया है।
आसन्न विधान सभा चुनाव में कर्णप्रयाग विधान सभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश नेगी का कहना है कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन कांग्रेस शासनकाल से स्वीकृत है। विकास की परियोजनाओं का हम भी समर्थन करते हैं लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि विकास से पहले लोगों का अस्तित्व ही समाप्त हो।
गौचर के समीप दो टनल बनाई जा रही हैं। इनसे होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए दीर्घगामी योजना बनाई जानी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। समय रहते विस्फोटों के प्रयोग पर रोक नहीं लगाई गई तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी भयावह बन सकती है।