देहरादून। चुनाव में निर्दलीय और छोटे दलों के उम्मीदवारों की ही जमानत जब्त होती है पर यह पूरा सच नहीं है। बीते चार विधानसभा चुनाव इस बात के गवाह है कि उत्तराखंड में जनता बड़ा यानी राष्ट्रीय दलों के भी बहुत से उम्मीदवारों की जमानतें जब्त करवा देती है। सूबे में अब 10 मार्च के बाद ही पता चलेगा कि जनता बड़े दलों के कितने उम्मीदवारों की जमानत जब्त करवाती है।
सबसे पहले वर्ष 2002 के पहले विस चुनाव की बात। इस विस में कांग्रेस ने 7 , भाजपा ने 69, बसपा ने 28, भाकपा ने 14, माकपा ने 5, एनसीपी ने 26 उम्मीदवार खड़ा किए। इनमें कांग्रेस के 1, भाजपा के 12, बसपा के 55, भाकपा के 13. माकपा के सभी, एनसीपी के 24 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। राज्य में मान्यता प्राप्त सपा के 63 में से 57 , पंजीत दलों में उक्रांद के 52 में 54, उत्तराखंड जनवादी पार्टी के 44 में से 42, भाकपा माले के सभी 1 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।निर्दलीयों में 346 से 333 की जमानत जब्त हुई।
अगले यानी 207 के विस चुनाव में भाजपा के 69 में से 7, कांग्रेस के 69 में से 8, बसपा के 69 में से 57, भाकपा के तीनों, माकपा के छह में छह और एनसीपी के 26 में से 23 की जमानत जब्त हुई। राज्य में मान्यता प्राप्त पार्टियों में उक्रांद के 61 में से 52, सपा के 55 में से 49, आरएलडी के 14 में से 13, निर्दलों में 24 में से 229 की जमानत जब्त हुई। 212 के विस चुनाव में भाजपा के 7 में से 3, कांग्रेस के 7 में 4, बसपा के 7 में से 52 एनसीपी के 2 में से 2, भाकपा के 5 में 5, माकपा के 6 में छह की जमानत जब्त हुई। अब तक राज्य में मान्यता प्राप्त पार्टी केवल उक्रांद(पंवार) बची जिसके 44 में 41 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। दूसरे राज्य में मान्यता प्राप्त पार्टियों में सपा के 45में से 44 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। आरएलडी के 15 में से 14, पंजीत दलों में उत्तराखंड रक्षा मोर्चा के 42 में से 4, निर्दलों में 261 में से 246 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई।
2017 के चुनाव इस मायने में अहम थे कि मोदी लहर का असर यह हुआ कि भाजपा के 7 में से किसी उम्मीदवार की जमानत जब्त नहीं हुई। कांग्रेस के 7 में से 4, बसपा के 69 में से 6, माकपा के सभी छह, भाकपा के सभी पांच, एनसीपी के सभी दो उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई। अब प्रदेश में कोई भी राज्य में मान्यता प्राप्त दल नहीं बचा था। बाकी सभी दलों के सभी उम्मीदवारों की जमानतें जब्त हुई और 261 निर्दलों में 243 की जमानत जब्त हो गई।
यह है जमानत जब्ती का नियम
जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 158 के मुताबिक यदि किसी प्रत्याशी को किसी निर्वाचन क्षेत्र में पड़ा कुल वैध मतों की संख्या के छठे भाग से कम वोट मिलते हैं तो उसकी जमानत राशि जब्त हो जाती है। मौजूदा विस चुनाव में सामान्य वर्ग के प्रत्याशियों के लिए जमानत राशि 10 हजार रुपये व आरक्षित वर्ग के प्रत्याशियों के लिए पांच हजार रुपये है।