36 के आंकड़े के लिए कांग्रेस को 31 की छलांग की दरकार

2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस केवल पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा से आगे रही थी

  • 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने महज 19 विधानसभा क्षेत्रों में विजय हासिल की थी
  • 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने महज 7 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल की थी

देहरादून। अगर कांग्रेस को उत्तराखंड में सत्ता हासिल करनी है यानी विधानसभा में बहुमत का 36 का आंकड़ा पाना है तो 31 सीटों की छलांग लगानी होगी। बीते यानी 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस केवल पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा से आगे रही थी। वैसे तो लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में लोग यह देखकर वोट डालते हैं कि वह देश की सरकार के लिए वोट डाल रहे हैं या प्रदेश की।

मगर बीते कुछ साल से प्रदेश में सत्तारुढ़ दल भाजपा निकाय व पंचायत चुनाव तक भी अपने राष्ट्रीय नेताओं व मुद्दों पर लड़ती रही है। बीते चुनावों के आंकड़ो को देखकर ऐसा लग भी रहा है कि उसकी यह रणनीति अब तक कामयाब ही दिखती है।
2014 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2017 के विधानसभा चुनाव व 2019 के लोकसभा के हार-जीत के आंकड़े कुछ ऐसा ही संकेत कर रहे हैं। यह बात और है कि इस बीच समय काफी बदल चुका है। सबसे पहले सबसे ताजा यानी 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड में सीटवार कांग्रेस और भाजपा को मिले मतों की तुलना करके देंखें तो 2022 में उत्तराखंड में सत्ता हासिल करने के लिए कांग्रेस को 31 सीटों पर छलांग की दरकार है।

दरअसल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस केवल पांच विधानसभा क्षेत्रों में ही भाजपा को पिछाड़ पाई थी। इनमें चार विधानसभा क्षेत्र हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र के थे तो केवल एक टिहरी लोकसभा क्षेत्र का। हरिद्वार में कांग्रेस ने भाजपा को ज्वालापुर, भगवानपुर, पिरानकलियर , मंगलौर विस सीट में पटखनी दी थी जबकि टिहरी लोकसभा क्षेत्र में केवल चकराता विस सीट में वह भाजपा को हरा पाई थी।

2017 के विधानसभा चुनावों की तुलना में यह कांग्रेस का और कमजोर प्रदर्शन था। 2017 के विस चुनाव में कांग्रेस ने केवल 11 सीटें, पुरोला, केदारनाथ, चकराता, हल्द्वानी, रानीखेत, जागेश्वर, धारचूला, मंगलौर, पिरानकलियर, भगवानपुर और जसपुर और जीती थीं। इनमें केदारनाथ में भाजपा दूसरे व तीसरे स्थान पर रहे दो निर्दलीयों से भी पीछे यानी चौथे स्थान पर रही थी।

जबकि मंगलौर में भाजपा बसपा के बाद यानी तीसरे स्थान पर रही थी। इसके पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को भाजपा से केवल सात सीटों पर बढ़त हासिल हुई थी। टिहरी लोस में एक चकराता, हरिद्वार लोस में चार ज्वालापुर, भगवानपुर, पिरानकलियर, मंगलौर, और अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र में केवल दो धारचूला और जागेश्वर विस सीटों में बढ़त मिली थी।

2019 में पोस्टल बैलेट में बहुत पीछे रह गई थी कांग्रेस

2019 के लोकसभा चुनाव में लोकसभावार पोस्टल मतों के जो आंकड़े है वह साफ बताते हैं कि कांग्रेस इसमें भाजपा से बहुत ही पीछे थी। भाजपा को हरिद्वार लोस में 4624 तो कांग्रेस को महज 681 पोस्टल वोट मिले। टिहरी लोस सीट में भाजपा को 7022 तो कांग्रेस को 1998, अल्मोड़ा लोस में भाजपा को14196 तो कांग्रेस को केवल 1819 और गढ़वाल लोकसभा सीट में भाजपा को 19367 और कांग्रेस को केवल 1701 पोस्टल वोट मिले। 2017 के विस चुनाव में तो कांग्रेस को केवल सात सीटों में भाजपा से ज्यादा पोस्टल बैलट मत मिले थे।

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