फिर आया पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास के किराए का जिन्न बोतल से बाहर

25 को होनी है उच्चतम न्यायालय में सुनवाई, रूलक ने दाखिर कर दिया है हलफनामा

नैनीताल। नैनीताल उच्च न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से आवास किराया बाजार दर से वसूलने के 3 मई 2019 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट  दी गई चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरएलईके को नोटिस जारी कर जबाव देने को कहा था। आरएलईके ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के खिलाफ उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा पारित किराया वसूली आदेश का बचाव करते हुए सर्वाेच्च न्यायालय के समक्ष जवाबी हलफनामा दायर कर दिया है। इससे एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास किराए मामले का जिन्न फिर बोतल से बाहर आ गया है।
सोमवार को आरएलईके अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों ने उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है। जिसमें दावा किया गया है कि बाजार दर पर किराया वसूली अनुचित है और बाजार दर की गणना करते समय उनकी बात नहीं सुनी गयी। राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के उस आदेश को भी चुनौती दी है। जिसमें कहा गया है कि बाजार किराए की वसूली की कोई आवश्यकता नहीं है। कार्तिकेय हरिगुप्ता ने एसएलपी का कड़ा विरोध किया है और अपना काउंटर हलफनामा दायर कर दिया है।
हलफनामे में कहा गया है कि इस मामले की शुरुआत 2010 से हुई थी। तब पूर्व मुख्यमंत्रियों का उच्च न्यायालय में अपने वकीलों के माध्यम से प्रतिनिधित्व किया जा रहा था और लगातार बाजार किराए की वसूली के खिलाफ बहस कर रहे थे। सुनवाई की ऐसी कोई आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा उच्च न्यायालय का पहला आदेश राज्य को बाजार किराए की वसूली के लिए वर्ष 2017 में पारित किया गया था, जिसे सभी उत्तरदाताओँ की उपस्थिति में पारित किया गया था। जिसे उनके द्वारा कभी चुनौती नहीं दी गई।
आरएलईके  ने राज्य सरकार द्वारा उठाए गए रुख का भी विरोध किया है। संस्था ने काउंटर हलफनामे में दलील दी है कि अवैध कब्जे के मामले में बाजार का किराया केवल एक उचित किराया हो सकता है और केवल मामूली सरकारी किराया लेना सार्वजनिक लागत पर निजी व्यक्तियों के अन्यायपूर्ण कब्जे के बराबर होगा। मामला सर्वाेच्च न्यायालय के समक्ष 25 फरवरी 2022 की अग्रिम सूची में सूचीबद्ध है। इस दिन उच्चतम न्यायालय से कोई महत्वपूर्ण फैसला आ सकता है।
आरएलईके के अध्यक्ष ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार निजी व्यक्तियों से सार्वजनिक धन की वसूली का विरोध कर रही है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि सर्वाेच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय के आदेश की पुष्टि करेगा। यह फैसला भविष्य के लिए भी नजीर बनेगा।

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