तो बच जाती घायल हाथी की जान, मोतीचूर रेंज के कर्मचारियों की कार्यशैली पर सवाल

ऋषिकेश। मोतीचूर रेंज में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्यशैली पर एक बार फिर सवालिया निशान खड़ा हो गया है। मोतीचूर रेंज में 50 से अधिक कर्मचारी होने के बावजूद आखिरकार घायल हाथी को क्यों नहीं ढूंढ पाए अगर यह घायल हाथी समय पर मिल जाता और समय पर उपचार होता तो शायद इसकी जान बच सकती थी।

गौर करने वाली बात यह है कि मोतीचूर रेंज में 50 से अधिक कर्मचारी और डॉग स्क्वाड होने के बावजूद आखिरकार घायल हाथी को क्यों नहीं ढूंढ पाए। अगर यह घायल हाथी समय पर मिल जाता और समय पर उपचार होता तो शायद इसकी जान बच सकती थी। गौरतलब है कि राजाजी टाइगर रिजर्व की मोतीचूर रेंज में 17 फरवरी को दो हाथियों के बीच खूनी संघर्ष हो गया। इसमें 55 साल के एक हाथी की मौत हो गई थी। वहीं शनिवार को 35 वर्षीय दूसरे हाथी की भी मौत हो गई।

राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क के डिप्टी डायरेक्टर ललित प्रसाद टम्टा ने बताया कि 17 फरवरी को सत्यनारायण बीट में छिद्रवाला के पास दो हाथियों में संघर्ष हुआ। जिस संघर्ष में एक हाथी की मौत हो गई और दूसरा हाथी जंगल की ओर चला गया। घटना के बाद संभावना जताई गई कि दूसरा हाथी भी संघर्ष में घायल हुआ है। जिसको ढूंढने के लिए वन कर्मियों की अलग अलग टीम बनाकर जंगल की ओर रवाना की गई। साथ ही जंगल की ओर घटना स्थल के आसपास के क्षेत्र में डॉग स्क्वायड घुमाया गया।

लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। 2 दिन बाद अचानक शनिवार की सुबह करीब साढ़े 7 बजे बीट के एक कर्मी को हाथी का शव सन्ग नदी के तट पर दिखाई दिया। जिसकी सूचना तत्काल उच्च अधिकारियों को दी गई। सूचना मिलने के बाद उच्च अधिकारियों मौके पर पहुंचे और डाक्टरों की टीम ने हाथी का पोस्टमार्टम किया और उसको सुरक्षित गड्ढा बनाकर दफनाया गया।

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