नैनीताल जिले की छह विस सीटों में कालाढूंगी में ही महिलाएं आगे
करीब तीस फीसद लोग मतदान के प्रति उदासीन
हल्द्वानी। इस बार नैनीताल जिले की छह विस सीटों में केवल कालाढूंगी में महिलाएं पुरुषों से आगे दिख रही हैं। इससे कालाढूंगी विस में इस बार महिला वोटर ही निर्णायक होने जा रही है। शेष पांच विस सीटों में महिलाएं ज्यादा खुलकर नहीं आ पायी।इसके नफे नुकसान का ता पता 1 मार्च को हो जाएगा, लेकिन एक बड़े तबके के वोटिंग के लिए न निकलने के पीछे के कारणों की पड़ताल की बारी आ गई है।
लग रहा है कि चुनाव को लेकर औसतन तीस फीसद मतदाता काफी निराशा के भाव में है। यह स्थिति सचमुच में लोकतंत्र के लिए खतरनाक मानी जानी चाहिए। अगर चुनाव आयोग और निर्वाचन मशीनरी ने इसका कोई उपाय नहीं खोजा तो एक दिन चुनाव मजाक बन कर रह जाएंगे।
निर्चाचन आयोग से मिली जानकारी के अनुसार इस बार कालाढूंगी विस में कुल 67.91 फीसदी मतदान हुआ। इसमें 58 हजार पैंतालीस पुरुप और 58 हजार 437 महिलाओं ने मतदान किया है। इस तरह कुल एक लाख सोलह हजार चार सौ अड़तर मतदाताओं ने वोट किया। यहां कुल एक लाख इगहत्तर हजार छह सौ उनतालीस वोटर थे।
14 फरवरी को 32.09 मतदाताओं ने मतदान के लिए कोई रुचि नहीं दिखायी। इसके लिए चुनाव आयोग को चिंता करनी होगी। अगर इतने लोग लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा नहीं लेंगे तो यह चुनाव मशीनरी पर कई तरह के सवाल करती है और इसकी सीधी पीड़ा लोकतंत्र को होनी स्वाभाविक है। स्टार प्रचारकों के आने के वाबजूद लोगों का घरों से निकलकर वोट न देना काफी चिंताजनक है।
इस बार सबसे ज्यादा मततान लालकुआं विस में 72.24 फीसदी हुआ। यहां 4४ हजार 453 पुरुष और 42 हजार 525महिलाओं ने वोट डाले। यहां कुल एक लाख बीस हजार तीन सौ बयाबवे मतदाताओं में से 86 हजार नौ सौ अडतर ने वोट डाले। पूर्व सीएम हरीश रावत के मैदान में होने के वाबजूद 27.76फीसदी मतदाताओं ने वोट के प्रति कोई रुचि नहीं दिखायी। ये लोग वोट डालने के लिए घर से ही बाहर नहीं निकले। इससे यह बात साफ हो जाती है कि करीब 27 फीसदी लोगों को वोट डालने के प्रति अनुराग रहा ही नहीं। यानि एक बड़े तबके के लोगों में वोट के प्रति काफी अरुचि पैदा हो रही है। इसको रुचि में बदलने के लिए चुनाव आयोग के साथ ही राजनीतिक दलों को काफी काम करना होगा।
हल्द्वानी विस में 51 हजार 854 पुरुष और 47 हजार 167 महिलाओं ने वोट डाले। यहां कुल 65.21 फीसदी वोट पड़े। यहां कुल मतदाता 10 लाख 51 हजार 396 मतदाताओं में से कि 92 हजार 51 लोगों ने वोट डाले। इस तरह 34.79 फीसदी लोगों ने वोट ही नहीं किया। इस वोट न करने के पीछे के कारण क्या होंगे क्या चुनाव आयोग कभी पड़ताल करेगा इस वोट न करने का क्या संदेश छिपा है यह तो पता लगना ही चाहिए।
हल्द्वानी कुमाऊं का प्रवेश द्वार है। एक तरह से उत्तराखंड की वाणिज्यिक राजधानी है। अगर यहां सौ में से करीब पैतीस लोग वोट देने के लिए ही नहीं जाएंगे तो क्या होगा। वैसे किसी भी विस में दो से अधिक प्रत्याशियों के मैदान में होने के कारण कुल मतों का इतना हिस्सा लाने वाला प्रत्याशी विजयी माना जाता है।
उत्तराखंड की सबसे खूबसूरत पर्यटन नगरी नैनीताल में इस बार 31 हजार 139 पुरुष एवं 29 हजार 260 महिलाओं ने वोट डाले हैं। यहां भाजपा की महिला प्रत्याशी सरिता आर्या मैदान में थीं। माना जा रहा था कि इस बार नैनीताल में महिलाएं खुल कर वोट करने आएंगी, लेकिन यहां केवल 54.91 फीसदी लोगों ने ही वोट किया। इसमें 26.6 फीसदी महिलाएं ही वोट देने आयी हैं। इससे विस चुनाव में गरीबों को सस्ता या फ्री का राशन देने के नाम पर वोट पडऩे का दावा कर रही भाजपा के लिए चिंता का विषय है।
नैनीताल में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला बताया जा रहा है। यहां कुल 1 लाख 9 हजार 970 वोटरों में कुल 6 हजार 399 वोटरों ने ही अपने मत का प्रयोग किया। आखिर इतना कम मतदान क्यों हो रहा है इसके लिए चुनाव आयोग की जिम्मेदारी तय करने का वक्त आ गया है।
नैनीताल से सटी भीमताल विस में इस बार 34 हजार 970 पुरुष एवं 30 हजार 519 महिलाओं ने वोट किया। यही वह विस है , जहां इस बार पिछले विस चुनाव की अपेक्षा कुछ अधिक मतदान हुआ। इसका कारण नैनीताल में भाजपा के दो बागी मतदाता लाखन सिंह नेगी और मनोस साह को माना जा रहा है। चूंकि टक्कर में आने वाले बागी प्रत्याशी के कारण हमेशा वोटिंग ज्यादा होने लगती है। यहां चतुष्कोणी मुकाबले में भाजपा और कांग्रेस कांटे की टक्कर में फंसी लगती है। भाजपा के लोग अपनी तो कांग्रेस के लोग अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। कुल लोग निर्दल प्रत्याशी लाखन नेगी को भी जीता हुआ मान रहे हैं।
यहां कुल 10 लाख 634 मतदाताओं में से 65 हजार 419 लोगों ने वोट डाले। इस तरह कुल 65.19 फीसद वोट हैं। यानि 34.81 फीसदी लोग वोट देने ही नहीं आए। यदि ये सभी लोग वोट डालने आते तो भीमताल का आकड़ा एतिहासिक हो जाता। यानि मतदान के लिए मुख्य चार प्रतिद्वंदी प्रत्याशियों के इलाकों को छोडक़र बांकी हिस्सों में मतदान नैनीताल की चाल पर ही हुआ लगता है। मतगणना के बाद बूथवार समीक्षा के बाद इसकी वास्तविक तस्वीर सामने आएगी।
पूर्व सीएम हरीश रावत के पहले रामनगर से चुनाव लड़ने व बाद में न लड़ने की घटना के बाद सुर्खियों में आयी रामनगर विस में 42 हजार 868 पुरुष और 41 हजार 137 महिलाओं ने वोट किया। यहां कुल 70.74 फीसद वोट पड़े हैं। यहां कुल 10 लाख 21 हजार 868 मतदाता हैं। इनमें से कुल 83 हजार 975 लोगों ने वोट डाले। यानि रामनगर में 29.26 फीसद लोगों ने वोट नहीं किए। यह काफी बड़ा तबका माना जाना चाहिए। यानि कार्बेट की नगरी में अभी भी तीस फीसद लोगों को चुनाव या मतदान से कोई लगाव नहीं है या कहीं कोई बड़े कारण हैं। बड़े कारण भी पांच से दस फीसद वोटरों के हो सकते हैं। इतनी संख्या में लोगों का वोट के लिए घर से बाहर न निकलना काफी चिंता का विषय माना जाना चाहिए।