मतदाताओं की खामोशी से प्रत्याशियों की बढ़ी धुकधुकी

देहरादून। विधान सभा चुनाव में मतदाताओं की चुप्पी से प्रत्याशी हैरान परेशान होकर रह गए हैं। इस कारण प्रत्याशियों और समर्थकों की पेशानी पर बल पडऩे से प्रत्याशियों की धुकधुकी भी बढऩे लगी है।
चमोली जिले की बदरीनाथ सीट पर महेंद्र प्रसाद भट्ट (भाजपा), राजेंद्र सिंह भंडारी (कांग्रेस), विनोद जोशी (सीपीआई), पुष्कर लाल बीछवाल (पीपीआईडी), भगवती प्रसाद मैंदोली (आम आदमी पार्टी), वृजमोहन सजवाण (उक्रांद), मुकेश लाल कोसवाल (बसपा) तथा निर्दलीय प्रत्याशी धीरेंपाल सिंह, सुनील, मुकुंद सिंह व शैलेंद्र प्रकाश सिंह विधान सभा की देहरी तक पहुंचने को पसीना बहा रहे हैं।

थराली सीट पर डा जीतराम (कांग्रेस), भूपाल राम टम्टा (भाजपा), गुड्डू लाल (आम आदमी पार्टी), कस्वी लाल (उक्रांद), किशोर कुमार (सपा), लक्ष्मण राम (बसपा), कुंवर राम (सीपीआईएम), नैनी राम (उत्तराखंड जन एकता पार्टी) तथा निर्दलीय गणेश कुमार गांवों की पगडंडियों को नाप कर ताज अपने सिर पर बांधने के प्रयासों में जुटे हैं। कर्णप्रयाग सीट पर मुकेश नेगी (कांग्रेस), अनिल नौटियाल (भाजपा), उमेश खंड़ूड़ी (उक्रांद), इेंश मैखुरी (भाकपा माले), सुरेशी देवी (पीपीआईडी), दयाल सिंह बिष्ट (आम आदमी पार्टी), डा मुकेश चंद्र पंत (उत्तराखंड जन एकता पार्टी), रंजना रावत (न्याय धर्म सभा) तथा मदनमोहन भंडारी, बलवंत सिंह नेगी व टीका प्रसाद मैखुरी ने भी विधायक बनने के लिए ऐडी चोटी का जोर लगा कर चुनाव को दिलचस्प मुकाबले में पहुंचा दिया है।

तीनों विधान सभा सीटों पर 2988715 मतदाता 31 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। बदरीनाथ विधान सभा सीट पर 102128 मतदाता 14 फरवरी का इंतजार कर रहे हैं। थराली विधान सभा सीट पर 102707 मतदाता किसी एक प्रत्याशी के सिर जीत का सेहरा बांधेंगे। कर्णप्रयाग विधान सभा सीट पर 9388 0 मतदाता प्रत्याशियों की किस्मत को 14 फरवरी को ईवीएम में कैद करेंगे।

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इस बीच मौजूदा चुनाव में कोरोना महामारी के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए निर्वाचन आयोग ने चुनावी सभाओं और रैलियों पर रोक लगा रखी थी। हालांकि इसमें ढील देते हुए सभा स्थल तथा बैठक की क्षमता की आधी संख्या पर इजाजत प्रदान करने का प्रावधान किया है।

हालांकि कड़े दिशा निर्देशों के चलते प्रत्याशियों और समर्थकों ने गांवों की पगडंडियों की राह पकड़ी है किंतु अब भाजपा तथा कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की चुनावी जन सभाएं भी आयोजित होने लगी हैं।

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हालांकि अभी तक जनपद में कांग्रेस के प्रत्याशी अपने तथा कार्यकर्ताओं के दम पर चुनाव लड़ रहे हैं जबकि भाजपा प्रत्याशी आला नेताओं की सभाओं और डोर-टू-डोर कैपेन के जरिए अपने पक्ष में हवा बनाने की कवायद में जुटे हैं।

इस बार किसी एक दल विशेष के पक्ष में कोई लहर अथवा हवा न होने के कारण प्रत्याशियों की मुश्किलें बढ़ी हैं। किसी तरह की लहर न होने के चलते मतदाताओं के सामने इस बार प्रत्याशियों की नेतृत्व क्षमता की परख करने की चुनौती भी आ खड़ी हो गई है।

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हालांकि नगरों से लेकर गांवों तक पोस्टर बैनर और डोर-टू-डोर कैं पेन के जरिए भाजपा तथा कांग्रेस जैसे दलों के प्रत्याशी लोगों से समर्थन मांग रहे हैं।

इस सबके बीच मतदाताओं ने अजीबोगरीब खामोशी ओढ़ ली है। मौजूदा चुनाव में सत्ता के चलते जहां भाजपा डिफेंसिव मोड में वहीं कांग्रेस रोजगार, महंगाई और विकास को लेकर वोकल बनी है। अपनी देहरी पर आए मतदाता भी सभी प्रत्याशियों और समर्थकों को मायूस नहीं कर रहे हैं।

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वोटर अपने मन की बात कहने में हिचक दिखा रहा है। 217 के विधान सभा चुनाव में मतदाताओं से लेकर आम लोग खुल कर चुनावी चर्चा में आगे तो आए ही अपितु चुनाव को दिलचस्प भी बना रहे थे। इस बार चुनाव में आरोप प्रत्यारोपों की स्थानीय स्तर पर गूंज नहीं सुनाई दे रही है।

तीनों विधानसभा सीटों पर भाजपा तथा कांग्रेस प्रत्याशी अपनी अपनी जीत के दावे तो कर रहे हैं किंतु मतदाताओं की चुप्पी प्रत्याशियों की धकधक बढ़ा रही है। यह बात किसी से छुपी नही है कि बीते विधान सभा चुनाव में भारी मात्रा में ग्रामीण क्षेत्रों में शराब के साथ ही अन्य वस्तुएं पहुंचकर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश देखने को मिली थी।

इस बार भी हालात पहले जैसे ही बने हुए हैं। अब विधान सभा चुनाव के लिए मात्र 4 दिन शेष रह गए हैं। ऐसे मे देखना है कि प्रत्याशी किस रणनीति के साथ आगे बढ़ पाते हैं। फिलहाल मतदाताओं की चुप्पी ने सियासी रणनीतिकारों को भी हैरत में डाल कर रख दिया है।

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