देहरादून। मतदान की तारीख नजदीक आते ही सियासी सरगर्मी चरम पर है। सियासत के मैदान में खड़े सूरमा बाजी मारने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। मैदान में खड़े अपने प्रतिद्वंदी को मात देने के लिए तिकड़मबाजी भी खूब की जा रही है। ऐसे में हर विधानसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प होने वाला है।
देहरादून जनपद के अंतर्गत आने वाली दस विस सीटों में से अधिकांश पर मुकाबला आमने-सामना का है। हालांकि सियासी दंगल में डटा हर प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित मानकर चल रहा है। पर इनमें कुछ दिग्गज ऐसे भी हैं जो चुनाव परिणाम आने से पहले ही अपनी जीत को लेकर आश्वस्त दिख रहे हैं। कहीं ऐसा न हो कि दिग्गजों का यही अति विश्वास (ओवरकंफिडेंट) ही सियासत के मैदान में उनकी लुटिया डुबो दे।
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बहरहाल, यह तो मतदाताओं को तय करना है कि आगामी 14 फरवरी को होने वाले मतदान के दिन ईवीएम पर कौन सा बटन दबाकर किसके सिर जीत का सेहरा पहनाना है और किसको क्लीन बोल्ड कर सियासत के मैदान से बाहर भेजना है। फिर भी वोटरों को अपने पक्ष में खड़ा करने के लिए प्रत्याशी कोई कसर नहीं छोडऩा चाहते हैं। विकास के लुभावने वादे कर मतदाताओं को रिझाना हो या फिर प्रचार वार में प्रतिद्वंद्वियों को मात देना हर तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।
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विधानसभा सीट शहरी हो या फिर ग्रामीण क्षेत्र की सियासत के मैदान में बाजी मारने के लिए हर फंडा प्रयुक्त किया जा रहा है। जिन सीटों पर मुकाबला आमने—सामने का है वहां पर वार-पलटवार, आरोप-प्रत्यारोप, तोड़-फोड़ व प्रपंच की राजनीति भी पूरे सबाब पर है। देहरादून नगर निगम के वार्डों को समेटने वाली विस सीटों पर भी दिनोंदिन मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है।
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देहरादून कैंट, राजपुर रोड, धर्मपुर व रायपुर सीट पर नगर निगम के सबसे अधिक वार्ड हैं। अब तक के सियासी समीकरणों के अनुसार इन सीटों पर भाजपा व कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला माना जा रहा है। लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि वोट कटुवा के तौर पर मैदान में खड़े बागी, निर्दलीय व दूसरे दलों के प्रत्याशी भी दिग्गजों का सियासी गणित बिगाड़ सकते हैं। राजनीति के जानकार भी मानते हैं कि इसका नुकसान उन दिग्गजों को उठाना पड़ सकता है जो जीत के प्रति ओवर कंफिडेंट हैं। इनमें कुछ सिटिंग विधायक भी शामिल हैं।