डा श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट
ख़त लिखना अब बीते ज़माने की बात हो गई।ख़त दो ही संदेश लाते थे या तो खुशी का या फिर ग़म का।ग़म का संदेश टेलीग्राम से भी आता था,तभी तो टेलीग्राम आते ही किसी अनहोनी की आशंका से हम डर जाते थे।लेकिन हम जिसे प्रेम करते है, उसके प्रति प्रेम अभिव्यक्त करने का सबसे सशक्त माध्यम भी ख़त यानि पत्र ही रहा है। पहले प्यार जताने और अपने दिल की बात अपने चाहने वाले तक पहुंचाने का माध्यम’ प्रेम पत्र’ ही हुआ करता था।
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छुप छुप कर प्रेम पत्र लिखना और फिर उसे प्रेमिका तक पहुंचाना किसी बड़े युद्ध से कम नही होता था।कुंवारेपन में प्रेम पत्रो को डाक से भेजने का खतरा प्रेमी नही उठाते थे।प्रयास होता था कि किसी विश्वास पात्र के द्वारा प्रेम पत्र प्रेमिका तक पहुंचाया जाए।हालांकि विवाहित प्रेमी डाक को प्रेम पत्र भिजवाने का सबसे बढ़ियामाध्यम मानते थे।
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यह भी आवश्यक नही कि ये प्रेम पत्र केवल जंवा दिलो द्वारा ही लिखे जाते हो।कई साधक ऐसे भी है जो परमात्मा को प्रेम की पाती योग माध्यम से भेजते है।भक्ति मार्ग में आज भी श्रीकृष्ण को उनकी साधिकाएं प्रेम पाती भेजती है।क्योंकि अपने प्रेम को प्रकट करने का एक बड़ा माध्यम प्रेम पत्र ही रहे है।
लेकिन आधुनिकता की दौड़ में पत्र लिखने की परम्परा अब समाप्त प्रायः हो गई है और प्रेम प्रदर्शन का यह माध्यम यानि प्रेम पत्र अब अतीत का हिस्सा बन चुका है।वास्तव में प्रेम पत्रों का स्थान अब व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर,मैसेंजर, इंस्टाग्राम आदि हाई टेक्नीक माध्यमो ने ले लिया है।वही वीडियो कॉल के द्वारा अब रूबरू प्रेम वार्तालाप सहज हो जाने से प्रेम पत्रो की महत्ता को ग्रहण लग गया है।
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हालांकि अभी भी ‘वेलेंटाइन डे ‘के नाम पर प्यार का इजहार करने के लिए इसे एक दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।अपनी प्रेम भावनाओं को शब्दों में बयां करने के लिए यह एक अवसर है। जिसका हर धड़कते हुए जवां दिल को बेसब्री से इंतजार होता है। प्यार के परवानों के लिए,वेलेंटाइन-डे मनाने वालो के लिए,वैलेंटाइन डे यानि प्यार भरा दिन खुशियों का प्रतीक माना जाता है। हर प्यार करने वाले शख्स के लिए यह दिवस अलग महत्व रखता है।
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पूरी दुनिया मे 14 फरवरी को मनाया जाने वाला प्यार के इज़हार का यह दिन विभिन्न देशों में अलग-अलग तरह से और अलग-अलग विश्वास के साथ मनाया जाता है। पश्चिमी देशों में तो इस दिन की रौनक अपने शबाब पर ही होती है, मगर पूर्वी देशों में भी इस दिन को मनाने का अपना-अपना अंदाज होता है।
चीन में यह दिन नाइट्स ऑफ सेवेन्सरूप में प्यार में डूबे दिलों के लिए खास होता है, वहीं जापान व कोरिया में इस पर्व को वाइट डेके नाम से जाना जाता है। इतना ही नहीं, इन देशों में इस दिन से पूरे एक महीने तक लोग अपने प्यार का इजहार करते रहते हैं और एक-दूसरे को तोहफे व फूल देकर अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं।
पाश्चात्य संस्कृति से जुड़े दुनिया के देशों में पारंपरिक रूप से इस पर्व को मनाने के लिए वेलेंटाइन-डे नाम से प्रेम-पत्रों का आदान प्रदान किया जाता है , साथ में दिल, क्यूपिड, फूलों आदि प्रेम के प्रतीक चिन्हों को उपहार स्वरूप देकर अपनी भावनाओं को भी प्रदर्शित किया जाता है। 19वीं सदीं में अमेरिका ने इस दिन पर अधिकारिक तौर पर अवकाश घोषित तक कर दिया था।
हर वर्ष लगभग एक बिलियन वेलेंटाइन्स एक-दूसरे को कार्ड भेजते हैं, जो क्रिसमस के बाद दूसरे स्थान सबसे अधिक कार्ड के विक्रय वाला पर्व माना जाता है।
‘ वेलेंटाइन-डे ‘मूल रूप से संत वेलेंटाइन के नाम पर मनाया जाता है। सेंट वेलेंटाइन के विषय में ऐतिहासिक तौर पर विभिन्न मत हैं।
सन 1969 में कैथोलिक चर्च ने कुल ग्यारह सेंट वेलेंटाइन के होने की पुष्टि की है और 14 फरवरी को उनके सम्मान में पर्व मनाने की घोषणा की। इनमें सबसे महत्वपूर्ण सेंट वेलेंटाइन रोम के सेंट वेलेंटाइन माने जाते हैं।
सन 1260 में संकलित की गई ऑरिया ऑफ जैकोबस डी वॉराजिन नामक पुस्तक में सेंट वेलेंटाइन का वर्णन मिलता है। इसके अनुसार रोम में तीसरी शताब्दी में सम्राट क्लॉडियस का शासन था। उसके अनुसार विवाह करने से पुरुषों की शक्ति और बुद्धि कम होती है। उसने आज्ञा जारी की कि उसका कोई सैनिक या अधिकारी विवाह नहीं करेगा।
सेंट वेलेंटाइन ने इस क्रूर आदेश का विरोध किया।उन्हीं के आह्वान पर अनेक सैनिकों और अधिकारियों ने विवाह करने शुरू किए। आखिर क्लॉडियस ने 14 फरवरी सन् 269 को सेंट वेलेंटाइन को फांसी पर चढ़वा दिया।
तब से उनके स्मृति दिवस को ‘प्रेम दिवस’ रूप में मनाया जाता है।कहा जाता है कि सेंट वेलेंटाइन ने अपनी मृत्यु के समय जेलर की नेत्रहीन बेटी जैकोबस को नेत्रदान किया था व जेकोबस को एक पत्र लिखा, जिसके अंत में उन्होंने लिखा था तुम्हारा वेलेंटाइन। यह दिन था 14 फरवरी का, जिसे बाद में इस संत के नाम से मनाया जाने लगा ।
वेलेंटाइन डे से पूर्व भी अब कई पर्व या फिर दिवस मनाये जाने लगे जैसे,
रोज डे प्यार के खूबसूरत हफ्ते की शुरुआत 7 फरवरी के दिन से होती है। इस दिन आप जिससे प्यार करते हैं ,उन्हें गुलाब का फूल देकर अपनी भावनाओं से अवगत करवा सकते हैं। प्यार करने वाले जोड़े एक-दूसरे को लाल गुलाब देना पसंद करते हैं।
प्रपोज डे- दूसरा दिन प्रपोज डे का होता है। इस दिन प्रेमी जोड़ा एक-दूसरे को प्रपोज करता है। वहीं आप चाहें तो गुलाब और गिफ्ट के साथ उन्हें प्रपोज करने जा सकते हैं।
चॉकलेट डे- चॉकलेट तो सभी को पसंद होती है। वहीं लड़कियों को यह सबसे ज्यादा पसंद होती है। प्यार का इजहार करने के लिए चॉकलेट का सहारा लिया जा सकता है इससे सामने वाले की नाराजगी को पल भर में दूर किया जा सकता है। वहीं अपने रुठे हुए प्रियजनों को इससे मनाया जा सकता है। इस दिन चॉकलेट देने से प्यार बढ़ता है।
टैडी डे- लड़कियों को टैडी बहुत पसंद होता है। टैडी को पूरी दुनिया में प्यार का प्रतीक माना जाता है। बचपन के साथ ही यह आपकी जवानी के भी साथी होते हैं।
प्रॉमिस डे- वादे हर रिश्ते की आधारशिला होते हैं।
यह आपके हेल्दी रिलेशनशिप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस दिन आप जिससे प्यार करते हैं उनसे कोई खास वादा कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे ऐसा वादा ना कर बैठें जिसे आप बाद में निभा ना सकें। इसलिए सोच-समझकर वादा दें।
किस डे- वैलेनटाइन वीक के छठे दिन को ‘किस डे ‘के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन प्रेमी युगल किस के जरिए अपने प्यार का आभास अपने पार्टनर को करवाते हैं।
हग डे- गले लगाकर आप बहुत से रुठे हुए अपने प्रियजनों को मना सकते हैं। इस दिन आप गर्मजोशी से एक-दूसरे को गले लगाकर अपनी भावनाओं का अहसास दिला सकते हैं। हग प्यार, केयर और प्रोटेक्शन को दर्शाता है।
वैलेनटाइन डे- यह दिन प्यार करने वालों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन को प्रेमी जोड़ा एक-दूसरे के लिए विशेष बनाने के साथ ही, उसे कभी न भूलने वाला दिन बनाने की कोशिश करते हैं।
कुछ लोग इस दिन को ‘शोक दिवस’ के रूप मे भी मनाते है क्योकि इसी दिन प्रेम व विवाह के समर्थक सेंट वेलनटाइन को फांसी पर चढ़ाया गया था।यानि यह पर्व प्यार के इजहार का अवसर है तो सन्त वैलेंटाइन को फांसी पर चढाये जाने के कारण ‘शोक’ मनाने की घड़ी भी है।
लेकिन दुनिया भर के लोग’ शोक ‘भूलकर इसके मूलपक्ष ‘प्रेम का इजहार ‘रूप में इस दिवस को उत्सव रूप में मनाते है।जिसका महत्व भारत मे भी निरन्तर बढ़ता जा रहा है।प्रेम करना बुरा नही है लेकिन प्रेम पूरी तरह सात्विक अर्थात वासना मुक्त हो तो उसकी सार्थकता बढ़ जाती है।साथ ही ऐसा ही प्रेम ईश्वर से किया जाए तो क्या ही कहने।