देहरादून। देहरादून जिले के अंतर्गत आने वाली 10 विधानसभा सीटों में सियासत के मैदान पर मुकाबला दिलचस्प होने जा रहा है। इनमें कुछ सीटें ऐसी भी शामिल हैं जहां इस बार चुनाव परिणाम अप्रत्याशित आ सकते हैं।
आज यहां बात करते हैं जनपद की कैंट विधानसभा सीट की। 1.34 लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर पिछले चुनावों की अपेक्षा इस बार सियासी समीकरण बदले हुए हैं। भाजपा प्रत्याशी सविता कपूर के सामने अपने स्वर्गीय पति व आठ बार विधायक रहे हरबंस कपूर की राजनीतिक विरासत को बचाए रखने की बड़ी चुनौती है।
ऐसे में उनकी साख दांव पर लगी हुई है। वहीं कांग्रेस ने सूर्यकांत धस्माना को दोबारा मैदान में उतारा हुआ है। कांग्रेस प्रत्याशी भी नाक का सवाल मानकर सियासी मुकाबले को कांटे का बनाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं।
खास बात यह कि भाजपा व कांग्रेस के बीच होने वाले आमने-सामने के मुकाबले में उक्रांद के अनिरूद्ध काला, आप के रविन्द्र आनंद, सपा के डा. आरके पाठक, बसपा के जसपाल सिंह व छह निर्दलीय भी कैंट के सियासी मुकाबले को रोचक बना रहे हैं।
बहरहाल, आगामी 14 फरवरी को होने वाले मतदान से पहले कैंट के सियासी समीकरण किस करवट बदलते हैं यह तो चुनाव परिणाम सामने आने के बाद ही साफ हो पायेगा। लेकिन इससे पहले मैदान में खड़े सभी प्रत्याशी बाजी मारने के लिए तरह-तरह के तिकड़म व हथकंडे अपनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी को भितरघात का खतरा बना हुआ है। साथ ही भाजपा से टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर बागी बनकर मैदान में उतरे दिनेश रावत के पक्ष में बन रहे माहौल का डर भी। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी के सामने अपनों को साथ खड़ा करने की चुनौती है।
उक्रांद के अनिरुद्ध काला भी अपने प्रतिद्वंदियों को पूरी टक्कर देने की जुगत में लगे हुए हैं। फिलवक्त अधिकतर पॉश कालोनियों वाली इस विधानसभा सीट पर हर तरह से सियासी समीकरण उलझे हुए हैं। यहां यह बताना भी जरूरी है कि राज्य गठन के बाद से ही कैंट सीट पर भाजपा का एकछत्र राज रहा है। 2002 में हुए पहले आम विस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हरबंस कपूर ने कांग्रेस के प्रत्याशी संजय शर्मा को 2924 मतों से पराजित किया था।
वर्ष 2007 के दूसरे आम चुनाव में भी भाजपा प्रत्याशी हरबंस कपूर ने कांग्रेस प्रत्याशी लालचंद शर्मा को 7033 मतों के अंतर से पराजित किया था। वहीं वर्ष 2012 के तीसरे आम चुनाव में भी कैंट विस सीट पर भाजपा अपनी हैट्रिक बनाने में कामयाब रही। तब भाजपा प्रत्याशी हरबंस कपूर ने कांग्रेस प्रत्याशी देवेन्द्र सिंह सेठी को 5095 मतों के अंतर से पराजित किया था। पिछले चुनाव में भी भाजपा प्रत्याशी हरबंस कपूर ने कांग्रेस प्रत्याशी सूर्यकांत धस्माना को 16670 मतों के अंतर से पराजित किया था। कुछ साल पहले तक पंजाबी बाहुल्य माने जाने वाली इस सीट पर कांग्रेस ने हर चुनाव में पंजाबी समुदाय के प्रत्याशी को ही मैदान में खड़ा किया लेकिन कामयाबी मिली नहीं। अब कैंट सीट पर पर्वतीय मूल के मतदाताओं की तदाद भी अच्छी-खासी हो गई है।
बताया जाता है कि इस क्षेत्र में करीब 48 प्रतिशत मतदाता पर्वतीय मूल के हैं और 20 फीसद पंजाबी। ऐसे में भाजपा के एक छत्र राज के तिलिस्म को तोडऩे के लिए कांग्रेस ने इस बार भी धस्माना को मैदान में उतारा है। नगर निगम के 13 वार्ड व छावनी परिषद के चार वार्ड वाली इस सीट पर हालांकि हर वर्ग का मतदाता अहम रोल में है।
पर्वतीय मूल व पंजाबी समुदाय के मतदाता ही नहीं बल्कि गांधी ग्राम, कांवली ग्राम, श्रीदेव सुमन नगर, पश्चिमी पटेलनगर (नई बस्ती) व बिंदाल नदी के किनारे रहने वाली मलिन बस्तियां व अल्पसंख्यक समुदाय के वोटर भी प्रत्याशियों की हार-जीत के समीकरण में निर्णायक हो सकते हैं।
बदले हुए सियासी समीकरणों में अब यह तो कैंट विस सीट के एक लाख 34 हजार मतदाताओं को ही तय करना है कि पांच आम विस चुनाव में किसको सरताज बनाना है।