- जनरल रावत के भाई के साथ ही दीप्ति रावत का नाम भी खूब चला
- ऊहापोह में फंसी थी भाजपा, अंतिम समय में वृजभूषण के नाम पर लग गयी मुहर
- पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत पहले ही चुनाव लडऩे से कर चुके थे इनकार
देहरादून। आखिरकार पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की सीट पर भाजपा ने बृजभूषण गैरोला को उतार दिया। इस सीट को लेकर भाजपा के भीतर जबदरस्त खींचतान चलती रही और अंत में त्रिवेंद्र रावत के करीबी बृजभूषण गैरोला के हाथ बाजी लगी।
भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता माने जाने वाले गैरोला लंबे समय से भाजपा में सक्रिय रूप से काम रहे हैं। वे पूर्व में देवप्रयाग से टिकट के दावेदार भी रहे हैं, लेकिन उनके हाथ सफलता नहीं लगी।
अब बदली परिस्थितियों में जबकि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चुनाव नहीं लडऩे का निर्णय लिया तो इस सीट पर खींचतान शुरू हो गयी। मैदान की सीट होने के कारण यहां से जो स्वाभाविक दावेदार थे उनके अलावा बहुत सारे अन्य चेहरों की नजर भी इस सीट पर बतायी जा रही थी, जो उत्तराखंड की राजनीति में रुचि रखते हैं।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पहले यहां जनरल विपिन रावत के भाई का नाम भी चला। उसके बाद यह भी चर्चा हुई कि पार्टी त्रिवेंद्र सिंह रावत को ही चुनाव लडऩे के लिए कह सकती है।
यह भी खबर आयी कि यहां चुनाव लडऩे के लिए पूर्व सीएम त्रिवेंद्र को ही प्रत्याशियों का नाम सुझाने को कहा गया। बृहस्पतिवार को बहुत तेजी से दीप्ति रावत का नाम डोईवाला के संभावित प्रत्याशियों के रूप में चर्चा में आया, लेकिन पार्टी की ओर से अधिकृत रूप से कुछ भी सामने नहीं आया।
इस बीच दीप्ति रावत का बाहरी प्रत्याशी के रूप में विरोध शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर विरोध के स्वर काफी हद तक फिजाओं में घुलने लगे।
इसके बाद देर रात को भाजपा ने टिहरी और डोईवाला सीटों के प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी, जिसमें डोईवाला से त्रिवेंद्र रावत के करीबी बृजभूषण गैरोला व टिहरी से कांग्रेस छोड़ भाजपा में आये किशोर उपाध्याय का नाम था। त्रिवेंद्र रावत भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ आज गैरोला के नामांकन में भी शामिल हुए।