70 विधानसभा सीटों पर 50 फीसद युवा बनेंगे भाग्य विधाता
राज्य में 18 से 39 साल आयु वर्ग के कुल 41 लाख 20 हजार 357 वोटर
- विस चुनाव में पहली बार मत का प्रयोग करने वाले युवाओं की तादाद सवा एक लाख
- 14 फरवरी को होने वाले मतदान के दिन होंगे निर्णायक भूमिका में, वोट से करेंगे चोट
देहरादून। 21 साल पहले उत्तर प्रदेश से पृथक होकर अलग राज्य बना उत्तराखंड अब किशोरावस्था की दहलीज को पार कर चुका है। इस दहलीज पर पहुंचे राज्य में होने वाले पांचवे आम विधानसभा चुनाव में यहां के करीब 50 फीसद युवा वोटर इस बार भाग्य विधाता बनेंगे।
प्रदेश की 70 विधानसभा सीटों पर भाग्य आजमाने वाले प्रत्याशियों का भाग्य जब आगामी 14 फरवरी को इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में कैद होगा तो उसमें इन युवा वोटरों का फैसला निर्णायक होगा। यूं कहा जा सकता है कि 18 साल से लेकर चालीस साल उम्र के मतदाता चुनाव दंगल में उतरे प्रत्याशियों की हार-जीत तय करने में पहली पांत में खड़े रहने वाले हैं।
बता दें कि सियासत में चालीस साल तक की उम्र के लोगों को भी युवा की श्रेणी में रखा जाता है।निर्वाचन आयोग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक पांचवें आम चुनाव में राज्य के कुल 81 लाख 43 हजार 922 पुरुष व महिला मतदाता आगामी चौदह फरवरी को अपने मत का प्रयोग करेंगे।
इनमें 93 हजार 964 सर्विस वोटर को भी जोड़ दें तो मतदाताओं की यह संख्या 82 लाख 47 हजार 886 हो जाती है। खास बात यह कि बतौर मतदाता ईवीएम का बटन दबाने वाले भाग्य विधाताओं में सर्वाधिक तादाद युवाओं की है। 18 साल से लेकर 39 साल आयु वर्ग के कुल 41 लाख 20 हजार 357 मतदाता इस बार अपने मत का प्रयोग करेंगे।
इनमें सवा एक लाख मतदाता ऐसे हैं जो पहली बार अपने मत का प्रयोग करेंगे। यानी कुल मतदाताओं में लगभग पचास फीसद युवा हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि सियासी दंगल में कौन सरताज बनेगा और कौन मात खायेगा, इसमें युवा वोटर बतौर रैफरी (निर्णायक) अपना फैसला सुनाने को तैयार हैं। 18 साल से अधिक से अधिक उम्र के युवाओं को वोटर बनाने की चुनाव आयोग की मतदाता जागरूकता मुहिम भी रंग लाती दिख रही है।
बीती पांच जनवरी को जारी मतदाता सूची के मुताबिक तेरह जिलों की 70विस सीटों पर 18 से 19 आयु वर्ग के एक लाख 58 हजार वोटर हैं। हालांकि पिछले विस चुनाव में इस आयु वर्ग के मतदाताओं की संख्या दो लाख 54 हजार 137 थी। इसी तरह 20 से 29 आयु वर्ग के कुल 17 लाख 39 हजार 279 मतदाता भी चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करने को तैयार हैं।
जबकि 3 0 से 39 आयु के 22 लाख 23 हजार मतदाता हैं। वहीं अस्सी साल या इससे अधिक उम्र के एक लाख 58 हजार 742 मतदाता भी उम्र के अंतिम पड़ाव में अपने मत का प्रयोग करने के लिए मतदान स्थल तक पहुंचेंगे। हालांकि बुजुर्ग मतदाताओं को अपने घर पर ही वोट देने की व्यवस्था भी इस बार निर्वाचन आयोग ने की हुई है।
आयु वर्गकुल मतदाता
18 से 19 साल एक लाख 58 हजार 0800
20 से 29 साल17 लाख 39 हजार 279
3 0से 39 साल२2 लाख 23 हजार 070
40 से 49 साल१६ लाख छह हजार 663
50 से 59 साल11 लाख 28 हजार 400
60 से 69 सालसात लाख 29 हजार 422
70 से 79 सालचार लाख 365
80साल से अधिकएक लाख 58 हजार 742
और इस बार भी युवाओं को टिकट देने में कंजूसी
पिछले सालों की तरह इस बार भी करीब पचास फीसद युवा वोटर राज्य विधानसभा चुनाव में अपने मत का प्रयोग करेंगे। ऐसे में हर सियासी दल व इन दलों के प्रत्याशी और निर्दलीय इन युवा वोटरों को लुभाने के लिए हर तरकीब अख्तियार करेंगे। चुनावी घोषणा पत्र में भी युवाओं को सुनहरे सपने दिखाने के लिए ढ़ेर सारी घोषणाएं की जानी स्वाभाविक है
। लेकिन बात जब युवाओं को चुनाव मैदान में उतारने की हो तो यहां पर सियासी दलों के कदम पीछे खिसक जाते हैं। पिछले चार विस चुनावों में भी देखने में आया कि भाजपा व कांग्रेस हो या फिर अन्य राजनीतिक पार्टियां युवाओं को टिकट देने में हर किसी ने कंजूसी दिखाई है।
इस बार के विस चुनाव के लिए भाजपा ने तीन दिन पहले 59 प्रत्याशियों की अपनी जो पहली सूची जारी की है उसमें भी गिने-चुने ऐसे प्रत्याशी हैं जिन्हें युवा की श्रेणी में रखा जा सकता है।
कांग्रेस ने अभी प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं की है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी, उक्रांद, सपा व बसपा ने अब तक अपने जिन प्रत्याशियों की सूची जारी की है उनमें भी युवा चेहरे चुनिंदा हैं। यानी पिछले चुनावों की तरह सियासी दल इस बार भी युवाओं को टिकट में देने में कंजूसी दिखा रहे हैं।