नैनीताल। वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में पद से हटाये गये उत्तरकाशी के जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजलवाण को उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिल पायी। अदालत ने सरकार के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। न्यायालय ने इस मामले में सरकार से जवाब तलब किया है।
मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी। बिजलवाण की ओर से सरकार के गत सात जनवरी के उस आदेश को चुनौती दी गयी है जिसमें उन्हें पद से हटाया गया। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उनके खिलाफ राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित होकर कार्यवाही की गयी है।
उनके खिलाफ जो आरोप लगाये गये हैं वह बेबुनियाद हैं। जांच में उनकी पुष्टि नहीं हुई है। उन्होंने इसे राजनीतिक साजिश करार देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की ओर से खुद उनके खिलाफ कार्यवाही करने की संस्तुति की गयी जो कि पंचायती राज अधिनियम 138 के प्रावधानों के खिलाफ है।
दूसरी ओर सरकार की ओर से कहा गया इस मामले में निर्धारित प्रावधानों का पालन किया गया है। जिलाधिकारी उत्तरकाशी के साथ ही गढ़वाल मंडल के आयुक्त की ओर से इस प्रकरण की जांच की गयी है। यही नहीं हटाने से पहले उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। सरकार की ओर से इस पूरे प्रकरण की एसआईटी जांच का निर्णय लिया गया है।
इस मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा की अदालत में हुई। अंत में अदालत ने सरकार के आदेश पर रोक नहीं लगायी। अदालत ने याचिकाकर्ता को कुछ राहत देते हुए फिलहाल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।
अदालत के आदेश से साफ है कि सरकार अब इस मामले की एसआईटी जांच कराने को स्वतंत्र है। गौरतलब है कि उत्तराखंड शासन की ओर से श्री बिजलवाण को वित्तीय अनियमिता के आरोप में इसी साल सात जनवरी को उनके पद से हटा दिया गया था।